बिलासपुर। सक्ती में रेलवे लाइन के पास स्थित देशी शराब दुकान को सरकार ने हटाने का निर्णय लेते हुए नई जगह पर स्थानांतरित कर दिया है, जिसके बाद हाईकोर्ट ने याचिका निराकृत कर दी।

स्टेशन पारा सक्ती निवासी मुरारी लाल अग्रवाल ने एक जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सक्ती रेलवे स्टेशन पर पूर्व केबिन के पास घनी आबादी वाले क्षेत्र में सरकारी देशी शराब दुकान खोली गई है। यह न केवल महिलाओं और बच्चों के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी खतरा बना हुआ है। लोग अपने शैक्षिक संस्थानों और कार्यस्थलों पर जाते हैं तो उन्हें शराबियों के झगड़ों व आपत्तिजनक कृत्यों का सामना करना पड़ता है। कांच की बोतलें सड़क पर ही नहीं बल्कि रेल की पटरियों पर भी पड़ी रहती हैं, जिससे दुर्घटनाओं की भी आशंका रहती है। याचिका में मांग की गई कि शराब दुकान को अन्यत्र हटा दिया जाये। कोर्ट ने पाया कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सरकार की प्रतिबद्धता है। हालांकि शासन की ओर से पहले यह कहा गया कि याचिका में निर्दिष्ट स्थानों पर दुकानें नहीं हैं, बल्कि निषिद्ध दूरी पर स्थित है। कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता द्वारा तस्वीरों और सामग्री के रूप मे प्रस्तुत साक्ष्य पर्याप्त हैं कि दुकान को हटाया जाना चाहिए। साक्ष्य के अनुसार दुकान में भारी भीड़ है और यह आने-जाने वालों के लिए तकलीफदायक है। यह उपद्रव का कारण बन सकता है।

तत्पश्चात् कोर्ट में शासन की ओर से बताया गया कि उक्त दुकान के लिए वैकल्पिक जगह खोजने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। शासन की ओर से बताया गया कि न्यायालय के आदेश के अनुपालन में उपरोक्त दुकान बुधवारी बाजार सक्ती में स्थानांतरित कर दी गई है। चीफ जस्टिस पी.आर.रामचंद्र मेनन और जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की कोर्ट ने आदेश का अनुपालन होने के बाद याचिका निराकृत की। कोर्ट ने महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा की सराहना की कि उन्होंने समय की आवश्यकता के अनुसार विचार करते हुए किसी प्रकार के व्यवधान और उपद्रव को रोकने के लिए शासन से निर्देश जारी कराया। नये स्थान पर शराब दुकान स्थापित हो जाने के पश्चात कोई अलग आदेश पारित करने की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। याचिकाकर्ता की ओर से चितरंजय सिंह पटेल ने पैरवी की। शासन की ओर से उप-शासकीय अधिवक्ता सिद्धार्थ दुबे ने पक्ष रखा।

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