किसान की फसल को जेसीबी चलाकर नष्ट करने की खबर पर कांग्रेसी थे नाराज, मीम को बनाया आधार

रायपुर। जनसरोकार से जुड़े मुद्दों को लेकर लगातार आवाज उठाने वाले सरगुजा के पत्रकार मनीष कुमार के खिलाफ पुलिस ने कांग्रेस नेताओं  की शिकायत पर फिर एक एफआईआर दर्ज कर ली है।

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महापौर अजय तिर्की की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है हालांकि इसका विवरण पुलिस के ऑनलाइन रोजनामचे से हटा लिया गया है।
दरअसल इस कार्रवाई के पीछे वह रिपोर्ट है जिसमें बताया गया था कि नगर-निगम के अधिकारियों ने किस तरह अटल आवास निर्माण के नाम पर तीन किसानों की पांच एकड़ धान की पकी हुई फसल पर जेसीबी मशीन चला दी। फसल बर्बाद होने पर एक पीड़ित किसान कैमरे के सामने ही रो पड़ा। उसकी साल भर की मेहनत को नगर निगम के अमले ने नष्ट कर दिया। इस खबर की गंभीरता को देखते हुए इसे न्यूज एजेंसी पीटीआई और एएनआई ने भी कवर किया साथ ही न्यूज चैनल एनडीटीवी पर भी ख़बर चली। अम्बिकापुर में इस खबर की व्यापक प्रतिक्रिया हुई। लोगों ने कहा कि कांग्रेस सरकार इतनी असंवेदनशील क्यों हो गई है। महापौर अजय तिर्की ने माना कि पकी हुई फसल को इस तरह रौंद देना गलत था। नगर निगम को मानवता के आधार पर कुछ दिन इंतजार करना था। जबकि किसानों का कहना है कि उनके पास सन् 1962 से इस जमीन का पट्टा है जिसका शुल्क भी वे पटाते हैं। फसल नष्ट करने से पहले उनको कोई नोटिस नही दी गई।

इस बीच किसी व्यक्ति ने इस खबर के हिस्से को लेते हुए 2.50 मिनट का एक मीम बनाया और उसे सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। इसमें लिखा गया कि स्थानीय भाजपा और कांग्रेस नेता सिर्फ चीन पाकिस्तान में उलझे रहते हैं स्थानीय समस्या उन्हें नहीं दिखती। पुलिस में इसी मीम को आधार बनाकर शिकायत की गई और अनेक कार्यकर्ताओं ने थाने पहुंचकर पुलिस पर दबाव बनाया और एफआईआर दर्ज करा दी।

एक ओर महापौर ने फसल रौंदने की घटना को गलत बताया तो दूसरी ओर उन्होंने इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले पत्रकार मनीष कुमार के खिलाफ एफआईआर लिखाई। एफआईआर समाचार को लेकर नहीं बल्कि वायरल किये गये मीम को लेकर दर्ज कराई गई है, जिसमें मनीष कुमार ने तैयार ही नहीं किया है। इधर जिला अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि जहां जेसीबी चलाई गई, वहां फसल नहीं घास थी। जिस किसान को रोते हुए रिपोर्टिंग में दिखाया गया उससे यह बयान ले लिया गया है कि उसे पैसे देकर बयान लिया गया। हालांकि बाकी दो किसानों ने  नगर निगम के दस्ते के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।

मनीष पिछले 18 सालों से जनसरोकार की पत्रकारिता करते आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ पोस्ट नाम के फ़ेसबुक पेज़ और यूट्यूब पर भी उनके वीडियो लगातार आ रहे हैं जिसमें शासन प्रशासन की खामी, वनों व वन्य प्रेमियों को हो रही क्षति और भ्रष्टाचार के मामलों को वे सामने ला रहे हैं।

ज्ञात हो कि इससे पहले अम्बिकापुर पुलिस ने पत्रकार मनीष के ख़िलाफ़ फेसबुक पोस्ट को आधार बनाकर राजद्रोह का मामला दर्ज कर लिया था जिसकी सीआईडी जांच चल ही रही है।

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