सीयू में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020,  उच्च शिक्षा के रूपांतरण पर संगोष्ठी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के महान संत गुरु घासीदास के नाम पर स्थापित विश्वविद्यलय का परिसर बहुत प्रेरणास्पद है। यह विश्वविद्यालय सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक होने के साथ मानवीय चेतना का एकात्म स्वरूप एवं सामाजिक समरसता का विचार प्रस्तुत करता है। समावेशी राष्ट्रीय शिक्षा नीति से छत्तीसगढ़ में निवास करने वाले जनजातीय और सतनामी समुदाय के बच्चों को बहुत लाभ मिलेगा।

उक्त विचार शुक्रवार को गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय एवं विद्याभारती उच्च शिक्षा संस्थान नई दिल्ली द्वारा आयोजित संगोष्ठी में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति प्रो. बलदेव शर्मा ने व्यक्त किया। संगोष्ठी ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, उच्च शिक्षा का रूपांतरण‘‘ विषय पर विश्वविद्यालय के रजत जयंती सभागार में रखी गई थी।

प्रो. शर्मा ने कहा कि अंतरविषयक कोर्स की उपलब्धता, लचीली पाठ्यक्रम संरचना, प्रवेश और निकास के कई बिंदु, आजीवन पढ़ाई जारी रखने का प्रवाधान, विषयों को चुनने की स्वतंत्रता, ऑनलाइन पाठ्यक्रमों को समान महत्व एवं उपलब्धता आदि अनेक प्रावधान राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ऐसे हैं जिससे छत्तीसगढ़ के वंचित जनजातीय समुदाय एवं सतनामी समुदाय के छात्र-छात्राओं को शिक्षा के समान अवसर सुलभता से उपलब्ध होंगे और उनके करियर और जीवन का मार्ग प्रशस्त होगा। बहुधा यहां के छात्र-छात्राएं ना केवल शैक्षिक स्तर में अपितु शोध कार्य में भी पीछे रह जाते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अनेक ऐसे प्रावधान है जैसे स्टार्टअप, इनोवेशन क्लब, शोध फेलोशिप सुविधाजनक आईटी लैब, अनेक प्रोग्राम एवं स्कीम छत्तीसगढ़ के छात्र-छात्राओं को शोध कार्य के अवसर प्रदान करेंगे।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रवेश एवं विनियामक समिति मध्यप्रदेश के अध्यक्ष प्रो. रविन्द्र आर. कान्हेरे ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 प्रजातांत्रिक तरीके से सभी अंशधारियों के साथ विचारोपरान्त बनाई गई है तथा उसके क्रियान्वयन के लिए भी उचित माध्यम का विकल्प चुना गया। क्रियान्वयन के लिये उच्च शिक्षण संस्थानों को तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है, जिसमें केवल शोध कराने वाले संस्थान, शोध एवं शिक्षण हेतु संस्थान एवं केवल शिक्षण के संस्थान हैं। नई नीति का उद्देश्य मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करने के साथ चरित्रवान नागरिक का निर्माण है। इसमें स्थानीय आवश्यकता के अनुरूप पाठ्यक्रम निर्धारण हेतु उच्च शिक्षा संस्थानों को स्वतंत्रता प्रदान की गई है। उन्होंने शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में आने वाली पेचिदिगियों एवं उनके दूर करने पर विस्तार से बात रखी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को समझने एवं उसके प्रावधानों के क्रियान्वयन हेतु इस प्रकार के प्रयास स्वागत योग्य हैं। नई नीति में छत्तीसगढ़ जैसे जनजातीय बाहुल्य एवं सतनामी समाज के विकास के अवसरों को समाहित करते हुए समावेशी विकास का शिक्षा मॉड्ल बनाया गया है जिसमें स्थानीय आवश्यकता के अनुरूप कौशल विकास का प्रावधान भी शामिल हैं। गौरवशाली अतीत को पुर्नस्थापित करना एवं मानवीय मूल्यों को प्रोत्साहित करना हमारा कर्तव्य है। विदेशी आक्रांताओं ने हमारे प्राचीन शिक्षा संस्थानों एवं पद्धतियों को समाप्त करने का प्रयास किया। नई शिक्षा नीति भारतीय प्राचीन ज्ञान परंपरा को विकसित करने एवं गौरव का आत्मबोध कराती है।

उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय में विभिन्न स्तरों पर कई प्रावधानों का प्रयोग विश्वविद्यालय में पहले से ही किया जा रहा है जिनमें च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस), मल्टीलेवल एक्सिट ऑप्शन, पाठ्येत्तर गतिविधियों पर क्रेडिट का प्रावधान, कौशल विकास पाठ्यक्रम शामिल हैं।

विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति के आधारभूत सिद्धांतों को अक्षरशः क्रियान्वित किये जाने हेतु उनके कार्यकाल में 118 नये शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए 10 स्मार्ट क्लासरूम, 30 सेमी स्मार्ट क्लासरूम, मूक्स लैब तथा  मीडिया लैब स्थापित किये गये हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि का शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. शैलेन्द्र कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सोनिया स्थापक ने किया। इस अवसर पर विद्याभारती उच्च शिक्षा संस्थान नई दिल्ली के सदस्य, कार्यपरिषद के सदस्य, विद्यापरिषद के सदस्य, विश्वविद्यालय की विद्यापीठों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, अधिकारी एवं शोधार्थी उपस्थित थे।

सर्वप्रथम अतिथियों ने द्वीप प्रज्ज्वलन कर मां सरस्वती की प्रतिमा एवं बाबा गुरु घासीदास के चित्र पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के तरंग बैंड द्वारा सरस्वती वंदना एवं कुलगीत की प्रस्तुति दी गई। नन्हें पौधे से अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम के संयोजक एवं अधिष्ठाता शिक्षा विद्यापीठ प्रो. राठौड़ ने स्वागत  उद्बोधन के साथ विद्याभारती उच्च शिक्षा संस्थान नई दिल्ली का संक्षिप्त परिचय भी दिया। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. सी.एस. वझलवार ने संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।

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