वनतुलसी में पर्यावरण को शुद्ध करने की अभूतपूर्व क्षमता है।

यह वैज्ञानिक सत्य है कि वनतुलसी हमें 24 घंटों में 20 घंटे ऑक्सीजन देती है। प्रख्यात वनस्पति शास्त्री श्याम कांत पडोले के अनुसार वनतुलसी, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गैस, कार्बन डाईआक्साइड और सल्फर डाई आक्साइड जैसी गैंसों को अवशोषित भी करती है।

तुलसी के पौधे जानवरों से भी पूर्णतः सुरक्षित हैं। जानवरों से इन्हें कोई नुकसान नहीं होता। एक घरेलू पौधा होने के कारण यह सामान्य जन समुदाय के बीच भी मान्य है। यह बातें ध्रुवी वेलफेयर एसोसिएशन की निदेशक स्वाति सिंह ने आज यहां कही।

बिलासपुर के कलेक्टोरेट में जनदर्शन में तुलसी के महत्व को बताने पहुंची स्वाति सिंह ने इसके ज्यादा से ज्यादा लगाया जाने पर जोर दिया। उन्होने कहा तुलसी के पौधों को घरों में, स्कूलों में, कॉलेजों व ऑफिस आदि के प्रांगण में रोपित किया जाए तो अति उत्तम होगा। उन्होने सुझाव दिया कि प्रायोगिक तौर पर इसे सड़क में डिवाइडर आदि पर लगाकर देखा जा सकता है। तुलसी की प्रजाति वन-तुलसी वातावरण को सुगंधित करती है तथा इसके फूल भी सुंदर होते हैं। इसे हम उपहार स्वरूप भी दे सकते हैं।

उन्होने चिंता जाहिर कि गुणकारी तुलसी के पौधे लोग उखाड़कर विसर्जित कर देते हैं जबकि यह प्रकृति प्रदत्त एक अनमोल उपहार है। वनतुलसी को लगाना आसान है। इसके धार्मिक, आयुर्वेदिक, नेचुरोपैथी महत्व को समझने की जरूरत है। वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार तुलसी पर्यावरण को शुद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमारे पूर्वज इसके महत्व को जानते थे तथा हर घर में तुलसी के पौधे को सम्मान से लगाने की व्यवस्था होती थी। घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाने से हमारी श्वसन प्रणाली को लाभ मिलता है क्योंकि इसमें एंटीआक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। तुलसी तनाव, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज आदि में भी राहत देती है। इसमें मौजूद लिनोनिक एसिड मानव त्वचा के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद है। उन्होने आगे कहा कि जहां तुलसी के पौधे लगे हो वहां मच्छर, कीड़े-मकोड़े पास नहीं आते। उसकी सुगंध वातावरण को पवित्र बनाती है और हवा में मौजूद बैक्टीरिया आदि को नष्ट कर देती है। तुलसी का पौधा उखाड़ के ना फेंके क्योंकि वह पुनः उग जाता है उसे किसी अन्य स्थान पर लगा दें। एकमात्र तुलसी ही ऐसा पौधा है जिसके सभी भाग काम आते हैं। तुलसी की पत्तियां, तना, बीज तथा जड़, सभी का अलग-अलग ढंग से उपयोग होता है। अब घरेलू उपचार में भी इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इम्युनिटी बूस्टर के रूप में इसे खाद्य पदार्थों एवं चाय के रूप में लिया जाता है। तुलसी एंटी बायोटिक, एंटी वायरस, एंटी बैक्टीरियल एवं कैंसर रोधी तत्वों से भरपूर है। तुलसी में विटामिन ए, विटामिन सी, एसेंशियल ऑयल आदि प्रचुर मा़त्रा में होती है। सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनउ के अनुसार तुलसी स्ट्रेस हार्मोन “कार्टिसोल“ को भी सामान्य स्तर तक ले जाने का कार्य करती है।

ध्रुवी वेलफेयर एसोसिएशन की निदेशक स्वाति सिंह ने बताया कि हरियाली अमावस्या वृक्षारोपण का त्यौहार है, जो सावन की अमावस्या को मनाया जाता है। इस वर्ष 11 अगस्त को यह तिथि पड़ रही है इससे आम लोग अपनी राशि एवं जन्म नक्षत्रों के अनुसार वृक्षारोपण करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म नक्षत्र को ध्यान में रखकर लगाया गया पौधा स्वास्थ्य लाभ देता है और पांच पौधे आम, आंवला, नीम, पीपल, बरगद को लगाने से मोक्ष प्राप्ति का उल्लेख है, जिन्हे पंच पौध कहा जाता है। उन्होने आगे कहा कि एकमात्र वनतुलसी लगाने से भी यह मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में बनतुलसी को दौना के नाम से जाना जाता है। तथा इसे घर-घर लगाने का विशेष महत्व है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here