सोने के गहनों की खरीदारी के लिए आज से पूरे देश में हॉल मार्किंग अनिवार्य कर दी गई है। आज के बाद हॉलमार्क किए बगैर किसी भी सोने के गहने को दुकानदार बेच नहीं सकेंगे। केंद्र सरकार ने इसके पहले सोने के गहनों और कलाकृतियों के लिए हॉलमार्क करने की व्यवस्था की अंतिम समय सीमा एक जून तय की थी, लेकिन व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स और सोने का कारोबार करने वाले कारोबारियों के आग्रह पर समय सीमा को एक जून से बढ़ाकर 15 जून कर दिया गया था।
सिर्फ 22, 18 और 14 कैरेट के गहने होंगे उपलब्ध
हॉलमार्क की व्यवस्था लागू हो जाने के बाद अब देशभर में ज्वेलर्स सिर्फ 22, 18 और 14 कैरेट के गहने ही बेच सकेंगे। इन सभी गहनों पर हॉलमार्क के लिए तय किए गए अलग-अलग निशान दिखाई देंगे। इन निशानों में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) का लोगो, सोने की शुद्धता बताने वाला कोड नंबर, हॉलमार्किंग सेंटर का लोगो, हॉलमार्किंग का साल (वर्ष) और ज्वेलर का आइडेंटिफिकेशन नंबर शामिल होंगे। इन निशानों को मैग्नीफाइंग ग्लास से आसानी से देखा जा सकेगा।
धोखाधड़ी और सोने में मिलावट की प्रवृत्ति पर लगेगा अंकुश
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने सोने के गहने की खरीद में होने वाली धोखाधड़ी और सोने में मिलावट की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए नवंबर 2019 में ही हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया था। हालांकि ये व्यवस्था लागू करने के लिए देश भर के ज्वेलर्स को 15 जनवरी 2021 तक का समय दिया गया था, ताकि हर ज्वेलर अपनी ओर से सारी तैयारी कर सके।
बाद में ज्वेलर्स की मांग पर इस डेडलाइन को बढ़ाकर एक जून, 2021 कर दिया गया। इसके बाद एक बार फिर ज्वेलर्स ने समय सीमा को बढ़ाने की मांग की, जिसके बाद हॉलमार्किंग को अनिवार्य किये जाने की सीमा को और 15 दिन के लिए बढ़ा दिया गया। सोने का कारोबार करने वाले कारोबारियों का तर्क था कि देश भर में कोरोना संकट की वजह से वे हॉलमार्किंग से जुड़ी तैयारियां नहीं कर सके हैं। इसलिए उन्हें तैयारी करने के लिए कुछ और समय दिया जाए।
सरकार की ओर से हॉलमार्किंग की समय सीमा बढ़ाए जाने के बावजूद देश के कई ज्वेलर्स ने खुद ही सरकार की ओर से निर्धारित नियमों के तहत गोल्ड हॉलमार्किंग की व्यवस्था शुरू कर दी है। फिलहाल देश में करीब 40 फीसदी से ज्यादा सोने के गहनों का कारोबार हॉलमार्किंग के साथ होने लगा है।
असंतुष्ट ग्राहक हॉलमार्किंग सेंटर को दे सकता है चुनौती
जानकारों का कहना है कि हॉलमार्किंग की वजह से ग्राहकों में सोने की शुद्धता को लेकर भरोसा बढ़ सकेगा। 22 कैरेट सोने के गहने में 91.60 फीसदी शुद्ध सोना होता है। इसी तरह 18 कैरेट सोने के गहने में 75 फीसदी शुद्ध सोना होता है, जबकि 14 कैरेट सोने के गहने में 58.50 फीसदी शुद्ध सोना होता है। नियमों के मुताबिक गहनों की खरीद करने वाला ग्राहक असंतुष्ट होने पर हॉलमार्किंग सेंटर को चुनौती भी दे सकता है। उसकी चुनौती सही पाए जाने पर सेंटर के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने और ग्राहक को मुआवजा देने का प्रावधान भी किया गया है।
ग्राहकों को पुराने गहनों को बेचने में नहीं होगी समस्या
सर्राफा बाजार के विशेषज्ञ मयंक श्रीवास्तव के मुताबिक गोल्ड हॉलमार्किंग के अनिवार्य होने के बावजूद लोगों को अपने पुराने गहनों को सुनारों के पास बेचने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी, क्योंकि हॉलमार्किंग की बाध्यता सिर्फ ज्वेलर्स के लिए है। आम आदमी अगर ज्वेलर्स को अपना गहना बेचना चाहे, तो उसके लिए ये बाध्यता नहीं होगी। हालांकि आम आदमी भी यदि चाहे तो अपने ज्वेलर के जरिए अपने गहनों की हॉलमार्किंग करवा सकते हैं। इसके लिए उन्हें एक निश्चित शुल्क अदा करना पड़ेगा।
हॉलमार्किंग सेंटर पर खुद भी करा सकते हैं सोने की शुद्धता की जांच
नियमों में ये भी स्पष्ट किया गया है कि आम उपभोक्ता अपनी पुरानी ज्वेलरी को सीधे हॉलमार्किंग सेंटर पर ले जाकर हॉलमार्क नहीं करा सकता है। इसके लिए उन्हें किसी ज्वैलर के जरिये ही हॉलमार्किंग करानी होगी। हालांकि अगर कोई व्यक्ति अपने सोने की शुद्धता की जांच कराना चाहता है, तो वो किसी भी हॉलमार्किंग सेंटर पर जाकर निर्धारित शुल्क अदा करने के बाद अपने सोने की शुद्धता की जांच करवा सकता है।

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