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साहित्य ही मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा, लोगों में किताबें पढ़ने की तमीज खत्म होती जा रही-विनय पाठक

पुस्तक यात्रा को हरी झंडी दिखाते हुए अभिनेता विनय पाठक।

सीवीआरयू की पुस्तक यात्रा को बॉलीवुड अभिनेता ने दिखाई हरी झंडी

विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजयी विद्यार्थी सम्मानित

अंचल में उत्साह से किया गया पुस्तक यात्रा का स्वागत

बिलासपुर। “आज किताबें पढ़ने की तमीज धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है, जिसके कारण यह पुस्तक यात्रा अनिवार्य हो गई है। हर विश्वविद्यालय को यह अपनाना चाहिए। लोगों को पुस्तक पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। सभी को स्मार्ट फोन का एक रोग सा छा गया है। वह आपको अपने अंदर इतना विलय कर देता हैं कि न तो समय का ध्यान रहता है और न ही किसी और चीज का। इससे बचने के लिए हर तरीके से लोगों को किताब पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। टेजीविजन, समाचार में या अन्य कहीं भी, जो लोग ज्यादा दिखाई देते है, उन्हें अपने साथ हमेशा पुस्तक रखना चाहिए और यह भी बताना चाहिए कि ये उनकी पसंदीदा पुस्तक है। इससे ही हम भावी पीढ़ी को पुस्तक की दुनिया में लौटाएंगे और पुस्तक संस्कृति से जोड़ पाएंगे।”

यह बातें फिल्म अभिनेता विनय पाठक ने डॉ.सी.वी.रामन् विवि में आयोजित विश्वरंग कार्यक्रम में कहीं। उन्होंने शनिवार को डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय की 13 दिवसीय पुस्तक यात्रा को हरी झंड़ी दिखाकर रवाना किया।

यह यात्रा आज 7 सितंबर रवाना हुई जो 19 सितंबर को बिलासपुर में समाप्त होगी। विनय पाठक ने विवि में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजयी विद्यार्थियों को पुरस्कृत भी किया।

पाठक ने अपने जीवन के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि सफलता का मूल मंत्र ईमानदारी से काम करना है और जब तक मंजिल ने मिले तब तक उसके पीछे बिना थके बिना रुके चलते रहना है। उन्होंने अपने पढ़ाई के दिनों की यादों को साझा करते हुए बताया कि वे अमेरिका पढ़ाई करने के लिए गए थे, लेकिन उन्होंने ड्रामा स्कूल में एडमिशन ले लिया। इस बात को लेकर पापा नाराज थे लेकिन मुंबई आने के बाद जब मुझे फिल्मों में काम मिलने लगा तो मुझसे ज्यादा खुशी मेरे पापा को हुई।  पाठक ने कहा कि  हर व्यक्ति के लिए सफलता के मायने अलग-अलग होते हैं। कलाकार के लिए दर्शकों की स्वीकार्यता ही उसकी सफलता होनी चाहिए। पाठक के अनुसार सिर्फ पैसे कमाने के लिए कर काम नहीं किया जाना चाहिए। हम क्या करना चाहते इसे तय करके काम करना चाहिए। उन्होंने बताया कि अच्छा साहित्य पढ़ना ही मेरी प्रेरणा है। खासकर युवाओं को साहित्य पढ़ना चाहिए। पिछले 20 साल की तुलना में देखें तो आज थियेटर बेहतर स्थिति में है। रंगमंच ने अपनी पहचान और बढ़ी है। भारत रंगमंच में दुनिया में सबसे अग्रणी है।

पाठक ने विद्यार्थियों से रूबरू होकर उनके सवालों के जवाब दिए। इस अवसर पर दूरवर्ती शिक्षा के डायरेक्टर अरविंद तिवारी ने कहा कि विनय पाठक ने ठहाकों की लहर छेड़ी है। इसी तरह यह पुस्तक यात्रा भी अपने उद्देश्य को सार्थक करेगी।

सीवीआरयू के विद्यार्थियों ने रैली के रूप में पुस्तक यात्रा की अगुवानी करते हुए उसे अगले पड़ाव तक पहुंचाया। इस दौरान कोटा सहित अंचल के लोगों ने पुस्तक यात्रा का स्वागत किया।  इस अवसर पर वनमाली सृजनपीठ बिलासपुर के अध्यक्ष सतीश जायसवाल, यात्रा समन्वयक योगेश मिश्रा, विवि के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, विद्यार्थी और अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

बच्चों तक पुस्तकें पहुंचाने का संकल्प-शुक्ला

इस अवसर पर विवि के कुलसचिव गौरव शुक्ला ने कहा कि हमने आम जन और बच्चों तक पुस्तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। इसलिए शहर से लेकर ग्रामीण अंचल और कस्बों तक पुस्तक यात्रा निकाली जा रही है। आईसेक्ट पूरे भारत में ऐसी यात्रा के माध्यम से पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित करने वाला पहला संस्थान है।

विद्यार्थी लें प्रेरणा-प्रो.दुबे

इस अवसर पर विवि के कुलपति प्रो.रवि प्रकाश दुबे ने बताया कि आज हमारे बीच उपस्थित विनय पाठक बहुमुखी प्रतिभा के धनी  हैं। विद्यार्थियों को इनसे प्रेरणा लेना चाहिए, कि हर क्षेत्र में बड़ा कैरियर बनाया जा सकता है। इसके लिए किस तरह संघर्ष किया जाता है।

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