बिलासपुर। यातायात व्यवस्था में सुधार के नाम पर वाहनों की चेकिंग के लिये चलाये जा रहे अभियान में ट्रैफिक पुलिस के रवैये से आम लोग काफी परेशान हो गये हैं। दस्तावेजों की डिजिटल कॉपी मान्य नहीं की जा रही है और जुर्माना भी कोर्ट में जमा करने के लिये कहा जा रहा है।

सोमवार को यातायात थाने के पास चौराहे में पुलिस ने चेकिंग अभियान का प्वाइंट बना रखा था। यहां पर रुकने वाले कई वाहन चालकों ने बताया कि उन्होंने गाड़ी के कागजात की फोटो अपने मोबाइल पर ले रखी है, पर उसे पुलिस मानने के लिये तैयार नहीं हुई। यहां तक कि डीजी लॉकर के दस्तावेजों को भी चेकिंग करने वाली टीम ने मानने से इंकार कर दिया, जबकि डीजी लॉकर केंद्र सरकार द्वारा दस्तावेजों को डिजिटल फार्मेट में रखने के लिये प्रदान की गई सेवा है। डीजी लॉकर के दस्तावेज सभी जगह मान्य होते हैं पर यातायात पुलिस का कहना था कि कागजात गाड़ी में होने चाहिये। न केवल ड्राइविंग लाइसेंस और गाड़ी का रजिस्ट्रेशन बल्कि बीमा की भी हार्ड कॉपी साथ लेकर चलना होगा। आम तौर पर मोबाइल, इंटरनेट और डीजी लॉकर की सेवा उपलब्ध होने के कारण लोग हार्ड कॉपी लेकर नहीं चलते हैं। यातायात पुलिस ने उन सब वाहनों को रोका जिन्होंने कागज में दस्तावेज नहीं दिखाये। इसके बाद बारी आई जुर्माना पटाने की। पुलिस द्वारा जुर्माने का चालान तो काटा गया लेकिन वे भुगतान लेने के लिये तैयार नहीं थे। इन् सबको कोर्ट में जाकर राशि जमा करने कहा गया। लोग गिड़गिड़ाते रहे कि कोर्ट के चक्कर कहां लगवा रहे हैं, आप जुर्माने की राशि लेकर रसीद काट दें, लेकिन चेकिंग में लगी पुलिस टीम ने ऐसा करने से मना कर दिया। जिन पर भी फाइन किया गया, सबने कोर्ट जाकर राशि जमा की, उसके बाद रसीद लाकर दिखाने पर वाहन उनके सुपुर्द किया गया।

यातायात पुलिस की टीम ने लोगों को बताया कि उन्हें हर दिन 150 चालान काटने का टारगेट मिला हुआ है। साथ ही कोर्ट में ही जुर्माना पटाने के लिये भेजने का निर्देश है। पर, इस फरमान से लोग परेशान हो रहे हैं।

ज्ञात हो कि यातायात पुलिस के रवैये को लेकर पूर्व में संसदीय सचिव रश्मि सिंह तथा विधायक शैलेष पांडे नाराजगी जता चुके हैं। इसके बावजूद अभी भी व्यवस्था नहीं सुधरी है।

1 COMMENT

  1. …… मैं भी एक भुक्त भोगी हूँ आम आदमी की परेशानी की हद्द तो तब हो गयी जब कोर्ट के दो सौ रूपये के जुर्माने को पटाने के लिए बाबुओं को 300 से 500 रूपये तक अतरिक्त नज़राना चढाना पड़ा। खासतौर से शहर के आसपास् के ग्रामीण इलाके से आये हुए लोगों की दशा एकदम दयनीय हो गयी थी।

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