चकरभाठा पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं करने की वजह बताते हुए किया दावा

बिलासपुर। चकरभाठा पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ताओं व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के उस आरोप को गलत बताया है कि पिता अपनी नाबालिग बेटियों से रेप करता था। पुलिस पड़ताल में मालूम हुआ है कि पिता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। कभी-कभी वह शराब पी लेता है, जिसके कारण बच्चों को परेशानी हुई होगी।

थाना प्रभारी मनोज नायक ने बताया कि 1 अक्टूबर को चाइल्ड लाइन की सूचना पर उप निरीक्षक जगदीश ठाकुर ग्राम पहुंचे। वहां चाइल्ड लाइन के नंद कुमार पांडे ने उप निरीक्षक को बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रियंका सिंह ने फोन करके हमें बुलाया है। बच्चियों के पिता की दिमागी हालत ठीक नहीं होने से वह बच्चियों को परेशान कर रहा है। तीनों बच्चियों को अपने साथ चाइल्डलाइन ले जाने तथा बाल कल्याण समिति में 2 अक्टूबर को पेश करने की बात बताते हुए पांडे बच्चियों को लेकर चले गए। इस बीच तीनों बच्चियां सेवा भारती मातृ छाया में थीं।

बच्चियों की दादी, तीन बुआ, ग्राम के सरपंच, पंच आदि ने बताया कि बच्चियों की मां लगभग 2 वर्ष पूर्व घर छोड़कर अन्य लड़के के साथ चली गई है। बच्चियों के पिता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, पर उनका अच्छा ख्याल रखता है, अपने कंधे में बैठाकर घुमाता है। मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने पर कभी शराब पी लेने से पिता की हरकत से बच्चों को परेशानी हुई होगी। ग्राम के लोग बच्चियों के पिता को इलाज के लिए मानसिक चिकित्सालय सेंदरी लेकर जाने वाले थे। तब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रियंका सिंह ने राय दी कि इन्हें सेवा भारती की मातृछाया में रखा जाए, जहां 18 साल तक के बच्चों को रखा जाता है।

पुलिस ने अपने वक्तव्य में कहा है कि प्रियंका सिंह ने चाइल्डलाइन वालों को बुलाकर झूठी शिकायत दी है। बाल संरक्षण समिति ने बच्चियों का मेडिकल चेकअप कराया है, जिस रिपोर्ट में किसी तरह के यौन शोषण या उसका प्रयास नहीं होने का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।

उल्लेखनीय है कि इस मामले में अपनी जांच-पड़ताल के बाद सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला और गुरु घासीदास सेवादार संघ के लखन सुबोध ने दावा किया है कि बच्चियों का पिता ने यौन शोषण किया है। उन्होंने पुलिस पर मामले को दबाने का आरोप लगाते हुए आंदोलन की चेतावनी भी दी है। इसे लेकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन भी दिया गया है।

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