बिलासपुर हाईकोर्ट ने अभिभावक संघ की रिव्यू पिटीशन व एक हस्तक्षेप याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। संघ ने निजी स्कूलों द्वारा वसूली जा रही फीस के खिलाफ याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की बेंच में हुई। प्रदेश के तमाम निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस के नाम पर ली जा रही अधिकतम फीस का विरोध करते हुए छत्तीसगढ़ छात्र पालक संघ दुर्ग ने एक पुनर्विचार याचिका पेश की थी।

इसी के समर्थन में सिद्धार्थ डांगी ने एक हस्तक्षेप याचिका दायर की। पालक संघ के अधिवक्ता ने कहा कि ट्यूशन फीस के नाम पर कुछ निजी स्कूल पालकों से मनमानी शुल्क जमा करा रहे हैं। इस वजह से पालकों की मुश्किल बढ़ गई हैं। हस्तक्षेप याचिका में भी कहा गया कि इतनी अधिक ट्यूशन फीस नहीं हो सकती जितनी ली जा रही है। निजी स्कूलों की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि 9 जुलाई को हुए हाईकोर्ट के आदेश में साफ लिखा है कि अगर अभिभावकों को कोई परेशानी फीस को लेकर हो तो वे स्कूल प्रबंधन को अभ्यावेदन दें। कोर्ट ने माना कि स्कूल पालकों के अभ्यावेदन पर जरूर विचार करेंगे। इसके साथ ही रिव्यू पिटीशन व हस्तक्षेप याचिका दोनों ही खारिज कर दी।

प्रदेश के निजी स्कूल अब फीस में मनमानी वृद्धि नहीं कर सकेंगे। इस पर नियंत्रण के लिए शुक्रवार को विधानसभा में कानून पारित किया गया है। इसके अंतर्गत अधिकतम 8 फीसदी तक फीस बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए स्कूल, जिला और राज्य स्तर पर समिति बनाई जाएगी। इसमें नियमों के उल्लंघन पर अधिकतम एक लाख रुपए तक का जुर्माना किया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि विद्यालय के विवादों पर भी समिति निर्णय करेगी। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि पालकों की शिकायतों को दूर करने और फीस को नियंत्रित करने विधेयक लाया गया है।

यह नियम अल्पसंख्यक स्कूलों में लागू नहीं होगा। उन्होंने बताया कि निजी स्कूलों की सबसे कम फीस पंजाब में है, उसे भी आधार बनाया गया है। विद्यालय समिति फीस बढ़ाने की अनुशंसा जिला समिति को करेगी। इस नियम के तहत अधिकतम 8 प्रतिशत तक फीस बढ़ाई जा सकती है। नियमों का उल्लंघन करने वाले विद्यालय के प्रथम उल्लंघन पर 50 हजार, फीस लेने की राशि का 2 गुना, दूसरी गलती पर 1 लाख जुर्माना, तीसरे उल्लंघन पर लिए गए फीस का 4 गुना जुर्माना लगेगा।हाईकोर्ट का निजी स्कूलों के पक्ष में फैसला; इधर, विधानसभा में अभिभावकों को राहत देने बना कानून

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