हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए सभी निचली अदालतों और पुलिस अफसरों को आदेश की कॉपी भेजने कहा

बिलासपुर। संदेह के आधार पर गिरफ्तार किए गए दो कबाड़ व्यवसायियों को हाईकोर्ट ने तत्काल रिहा करने तथा 30-30 दिन के भीतर एक-एक लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए आदेश की प्रति सभी अदालतों और पुलिस अधीक्षकों को भेजने का निर्देश भी दिया है।
कोरबा में आकाश मैती और मुकेश साहू कबाड़ खरीदने बेचने का व्यवसाय करते हैं। इनके खिलाफ शिकायत आई कि विद्युत मंडल पुलिस चौकी इलाके में इन्होंने चोरी का लोहा आदि कबाड़ बड़ी मात्रा में खरीदा और बेचा है। कोतवाली पुलिस ने इन्हें मार्च 2021 में गिरफ्तार कर लिया। न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने इन्हें जेल भेज दिया।
इस पर उन्होंने सत्र न्यायालय में जमानत का आवेदन दिया, जो खारिज कर दी गई। परेशान होकर दोनों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिट पिटीशन दायर की। याचिका में कहा गया कि उन्हें बिना किसी वारंट के संदेह के आधार पर गिरफ्तार कर संविधान की धारा 21 का उल्लंघन किया गया है। जो अपराध उन्होंने किया ही नहीं है, उसका आरोप लगाकर सीआरपीसी के सेक्शन 41 (1) ऊ और धारा 379, 34 के तहत जेल भेज दिया गया। इससे उनकी मानहानि हुई है। याचिकाकर्ताओं ने राज्य शासन को जिला कलेक्टर के माध्यम से, कोरबा कोतवाली के थाना प्रभारी, सीबीएसई चौकी प्रभारी के खिलाफ मानहानि का आरोप लगाया और 5-5 लाख रुपये क्षतिपूर्ति की मांग की।
सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कहा कि बिना वारंट गिरफ्तारी नहीं की जा सकती।  इस मामले में संविधान की धारा 21 का उल्लंघन हुआ है। पुलिस महकमे और अधीनस्थ न्यायालयों को सीआरपीसी सेक्शन 41 (1) (ऊ) का मनमाना इस्तेमाल नहीं हो सकता। यदि कोई संपत्ति चोरी की बताई जा रही है तो यह जानना आवश्यक है कि वह किस व्यक्ति की संपत्ति थी और कहां से चुराई गई। कोर्ट ने अधीनस्थ अदालतों और पुलिस अधिकारियों को कहा है कि इसका  भविष्य में ध्यान रखें। इस आदेश की प्रति डीजीपी, आईजी, डीआईजी, एसपी और प्रदेश की सभी अदालतों में भेजने को भी कहा गया है। यह केस रिपोर्टिंग के लिए रखा किया गया है।
कोर्ट ने कहा है कि यदि आरोपी जेल में हैं तो उन्हें जमानत पर तुरंत रिहा किया जाए। हालांकि इस बीच उन्हें जमानत मिल चुकी है। कोर्ट ने राज्य शासन को निर्देश दिया है कि दोनों याचिकाकर्ताओं को एक-एक लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दी जाए।

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