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गायों का डेरा जंगल और सड़कों पर, फसल बचाने किसानों का रतजगा, राहगीर व मवेशी हो रहे दुर्घटनाओं के शिकार  

कोटा में मवेशी।

करगी रोड (कोटा )। पशु पालकों ने गौवंश को शहर से दूर कोटा के जंगल अचानकमार, बेलगहना, छपरवा, शहरी क्षेत्रों में छोड़ रहे हैं। इससे न केवल फसलें बर्बाद हो रही हैं, बल्कि सड़कों पर उनकी और राहगीरों की मौत का खतरा भी बढ़ गया है।

कोटा क्षेत्र के आसपास गांव में शहरी क्षेत्रों से में खासकर बरसात के दिनों में पशु आहार पैरा ,भूसा की कमी दिखाई दे रही है। इसके अभाव में पशुपालक दूरदराज के जंगलों में गायों को छोड़ रहे हैं। ये मवेशी खेत में लगी फसलों को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं। कृषकों को रतजगा करके फसल की देखभाल करनी पड़ रही है। इसके अलावा बड़ी संख्या में शहरी क्षेत्रों से ला कर छोड़े गये भूखे-प्यासे गाय किसानों फसल को भी नुकसान पंहुचा रहे हैं। इससे ग्रमीण चिंतित हैं।

जनपद पंचायत के कोटा रतनपुर मुख्य मार्ग में ग्राम पंचायत सिलदहा के सरपंच पुरुषोत्तम बिरको ने बताया कि 100 से अधिक गाय, बछड़े,बैल ग्राम पंचायत के पास मेनरोङ में लाकर कुछ लोग छोड़ गये। कोटा से लगे तखतपुर के गांव ग्राम घोड़ामार में भी यही हाल है। कोटा लोरमी मार्ग में भी शाम को दूध लेने के बाद पालक गायों को सड़क पर छोड़ देते हैं। इसके दुर्घटनाएं तो होती ही हैं कई बार सड़क जाम की स्थिति भी बन जाती है।

गांव के गौठानों में गायों को लेने के लिए मना किया जा रहा है। अभी गायों पर संकट के बादल छा गए हैं। रोज 25 पचास गाय मेन रोड में बैठी मिलती हैं। इनमें अनेक की वाहन की चपेट में आने के कारण मृत्यु हो रही है। मोटरसाइकिल सवार भी रोज घायल हो रहे हैं। गौरक्षकों ने भी चुप्पी साध रखी है। छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण गौठान योजना के तहत निर्माण कार्य तो हो गया है पर ये दाना पानी की  कमी से जूझ रहे हैं। गौठान खाली दिखाई पड़ते हैं और रोड पर ही गौठान दिख रहा है।

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