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हाईकोर्ट में सरकार का जवाब-ओवरलोड ट्रकों पर की जा रही सख्ती से कार्रवाई, सीजे की बेंच ने की याचिका निराकृत

प्रतीकात्मक छवि।

बिलासपुर। प्रदेश में चल रही ओवरलोड ट्रकों पर कार्रवाई की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका आज हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मिलने के बाद निराकृत कर दिया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि ओवरलोड ट्रकों पर सख्ती से कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

छत्तीसगढ़ ट्रक मालिक संघ व भिलाई के त्रिलोक सिंह की ओर से एक जनहित याचिका 2017 में दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि पूरे प्रदेश में ओवरलोड वाहनों के कारण सरकार को न केवल राजस्व की क्षत्ति हो रही है बल्कि सड़कों की दुर्दशा हो रही है। इससे पर्यावरण का नुकसान तो हो ही रहा है, दुर्घटनाओं में भी वृद्धि का यह एक कारण है। सूचना का अधिकार के जरिये निकाली गई अनेक रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए याचिका में बताया गया था कि विक्रय कर विभाग द्वारा लिये गए टैक्स से पता चलता है कि भारी संख्या में ट्रकें ओवरलोडेड चल रही हैं, पर इसी के अनुपात में आरटीओ द्वारा इन पर कार्रवाई नहीं की गई है। नियमानुसार स्वीकृत लोड से अधिक परिवहन करने पर, पहले टन में रु. 2000 और उसके बाद अतिरिक्त प्रत्येक टन पर रु. 1000 का अर्थदंड का प्रावधान है। यह दंड ट्रक मालिक, ट्रक चालक और सामान का परिवहन कराने वाले तीनों लोगों पर लागू होगा। इसके अलावा जब जुर्माना वसूल करने के बाद ट्रकों को छोड़ा जायेगा तो उसके अतिरिक्त लोड सामान को खाली कराया जायेगा, इसमें आने वाले खर्च को भी वाहन मालिक से वसूल किया जायेगा, लेकिन प्रदेश में कहीं भी ऐसा नहीं किया जा रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद सेल्स टैक्स नाके खत्म हो जाने के कारण ओवरलोड वाहनों पर निगरानी भी अब नहीं हो पा रही है।

याचिका में यह भी कहा गया था कि सड़कों को इन ओवरलोड वाहनों से भारी नुकसान पहुंचता है। सरकार की अधिकारिक जानकारी कहती है कि 10 प्रतिशत अधिक लोड वाहनों से सड़क को 46 फीसदी, 30 प्रतिशत अधिक लोड से 186 फीसदी, 50 प्रतिशत अधिक लोड से 406 गुना और 100 प्रतिशत ओवरलोड से 1500 गुना क्षत्ति सड़कों को पड़ती है। इससे सड़कों के रख-रखाव पर सरकार का खर्च बढ़ जाता है। याचिका में ऐसे कई मामलों का उल्लेख किया गया था कि जहां क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों को जुर्माना करना था लेकिन उन्होंने नहीं किया।

ओवरलोड ट्रकें औद्योगिक सामग्री, खनिज सामग्री, खाद्यान्न इत्यादि सभी के परिवहन में चल रही हैं।

इस मामले में शासन की ओर से कई बार जवाब आया। इस बार अतिरिक्त मुख्य सचिव आरपी मंडल की ओर से प्रस्तुत जवाब में बताया गया कि ओवरलोड ट्रकों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है और शासन इसके लिए गंभीर है। उद्योगों को इसके लिये नोटिस भी जारी कर दिये गए हैं शासन की ओर से जवाब आने के बाद याचिका का निराकरण कर दिया गया।

मामले पर आदेश चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस विमला सिंह कपूर की डबल बेंच ने दिया। शासन की ओर से महाधिवक्ता कनक तिवारी ने पक्ष रखा। याचिकाकर्ताओं की ओर से एनपीएस भाटिया और एचपीएस भाटिया उपस्थित थे।

 

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