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हसदेव में कोयला खदानों को मंजूरी देने से अरपा सूख जायेगी, अमृत मिशन से पानी देने की योजना फेल होगी

बिलासपुर में कोल ब्लॉक आबंटन के नुकसान पर परिचर्चा।

कोल ब्लॉक आबंटन पर पर्यावरण चिंतकों के बीच परिचर्चा

बिलासपुर। हसदेव अरण्य क्षेत्र के जंगलों को बचाने के लिए वहां के मूल निवासी तो आंदोलित हैं ही,अब उन जंगलों को बचाने की आग शहरों में भी फैल रही है। बिलासपुर में भी नागरिकों ने प्रेस क्लब भवन ईदगाह रोड पर उपस्थित होकर इन जंगलों को कोयला खदानों से बचाने का संकल्प लिया।

यहां आयोजित परिचर्चा में छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने छत्तीसगढ़ अरण्य संघर्ष समिति द्वारा कोयला खदानों को खोले जाने और ग्रामवासियों की जमीनों के अवैध अधिग्रहण के खिलाफ पिछले दस सालों से चल रहे आंदोलन की विस्तृत जानकारी दी। आलोक शुक्ला ने कहा कि पूरे भारत के कोल ब्लॉक का मात्र दो प्रतिशत कोयला हसदेव अरण्य क्षेत्र में है, जिसे निकालने की जिद में केंद्र और राज्य सरकारें हजारों हेक्टेयर का जंगल नष्ट करने पर तुली हुई है। इससे हसदेव नदी का जलग्रहण क्षेत्र खत्म हो जाएगा और छत्तीसगढ़ के बड़े भू-भाग की कृषि समाप्त हो जाएगी।

पर्यावरण चिंतक और वामपंथी नेता नंद कश्यप ने कहा कि हसदेव अरण्य के जंगलों की वजह से ही छत्तीसगढ़ के बड़े भू-भाग में भूगर्भ जल के स्त्रोत बने हुए हैं। यदि ये नष्ट हो गए तो हमारे बड़े शहरों में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मच जाएगी।

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