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प्रवासी मजदूरों की समस्या पर हाईकोर्ट में सुनवाई, केन्द्र से छूट लेकिन राज्य में ई-पास जरूरी क्यों?

बिलासपुर हाईकोर्ट।

अगले हफ्ते फिर होगी सुनवाई

बिलासपुर, 1 जू।  प्रवासी मजदूरों को घर लौटने के लिये साधन, भोजन और आवास के मुद्दे पर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को चीफ जस्टिस की डबल बेंच में सुनवाई हुई। इसमें बिना पास एक राज्य से दूसरे राज्य आने जाने के लिए दी गई छूट के विपरीत राज्य सरकार के ई-पास की व्यवस्था पर भी कोर्ट ने सवाल किया। केन्द्र व राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने इन भ्रांतियों पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है, जिस पर 8 जून को सुनवाई होगी।

हाईकोर्ट में अधिवक्ता रजनी सोरेन के माध्यम से संजय गुप्ता द्वारा एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें कहा गया है कि लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर केन्द्र व राज्य सरकार ने ध्यान नहीं दिया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि इस बीच केन्द्र सरकार ने 30 मई को गाइड लाइन जारी कर कहा है कि कंटेनमेंट जोन को छोड़कर एक राज्य से दूसरे राज्य जाने के लिए किसी तरह की पास की आवश्यकता नहीं है जबकि छत्तीसगढ़ सरकार ने न केवल दूसरे राज्य से आने वालों के लिए बल्कि एक जिले से दूसरे जिले में जाने के लिए भी ई पास को अनिवार्य कर दिया है।  याचिकाकर्ता का कहना था कि बच्चों के साथ कई प्रवासी मजदूर देर रात तक आ रहे हैं और उन्हें सुबह खाना नहीं मिल रहा है। ऐसे प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था करने का कार्य स्थानीय निकायों को सौंपा गया है, जो वास्तव में दोपहर तक ही इसकी व्यवस्था कर पाता है।

जवाब में महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता की जानकारी सही नहीं है। प्रवासी मजदूरों के लिए राज्य द्वारा 900 बसों की व्यवस्था कर चुकी  है। जिला बिलासपुर से ही 200 से अधिक बसों को प्रवासी मजदूरों को विभिन्न स्थलों पर ले जाने की व्यवस्था की गई। जो अन्य राज्यों में जाना चाहते हैं, उन्हें राज्य की सीमा तक बसों में ले जाया जा रहा है और पड़ोसी राज्यों के अधिकारियों के साथ परामर्श करके उनके आगे की यात्रा की व्यवस्था के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। । महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य के भीतर भोजन और पानी के उचित उपाय किए गए हैं और इस संबंध में एक विस्तृत बयान दर्ज किया जायेगा। कोर्ट ने इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया है। सहायक सॉलिसिटर जनरल से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है, जिसमें कहा गया है कि 30 मई को केंद्र सरकार ने कहा है कि अंतरराज्यीय और अंतर-राज्य मुक्त होंगे और किसी को भी पास की आवश्यकता नहीं है। दूसरी तरफ राज्य द्वारा कहा गया है कि राज्य द्वारा कोविड19 का प्रसार रोकने के लिए ई पास की व्यवस्था की गई है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में जब कोई मजदूर दूसरे राज्य से यहां की यात्रा शुरू कर चुका हो उसका क्या होगा, यह स्पष्ट किया जाना आवश्यक है। इनके लिये राज्य सरकार को उचित व्यवस्था करनी पड़ सकती है। कोरोना परीक्षण करने के लिए, जहां भी आवश्यक हो, क्वारांटीन करने की व्यवस्था भी करनी होगी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पी.आर. रामचंद्र मेनन और जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की बेंच ने की।

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