बिलासपुर । भूमि अधिग्रहण के मुआवजे को कम करने के राज्य सरकार की अधिसूचना को हाईकोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश को पलटते हुए यथावत रखा है।

हाईकोर्ट में बिलासपुर की अलका अग्रवाल ने राज्य सरकार के मुआवजे के निर्धारण के लिए 2014 में जारी की गई अधिसूचना को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण की मुआवजा राशि एक गुणा तय कर दी थी जबकि केन्द्र सरकार ने मुआवजे की दर दो गुना तय की गई है। याचिका पर सुनवाई के पश्चात् नवंबर 2018 में चीफ जस्टिस की डबल बेंच ने राज्य शासन के नये नियम को निरस्त कर दिया था और याचिकाकर्ता को दो गुना मुआवजा देने का निर्देश दिया था।

राज्य शासन इस आदेश के खिलाफ अपील पर गई। राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि केन्द्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के पूर्व के अधिग्रहण पर नई दर लागू नहीं की जा सकती। याचिकाकर्ता की ओर से भी दो गुना मुआवजे के लिए याचिका दायर नहीं की गई है बल्कि अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की गई है। यदि पूर्व के अधिग्रहण पर विचार किया गया तो शासन पर हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा और ऐसे भू-स्वामियों का पता लगाकर उन्हें नये दौर से मुआवजा प्रदान करना व्यावहारिक नहीं होगा।

राज्य सरकार के इस तर्क को स्वीकार करते हुए गुरुवार को हाईकोर्ट ने पूर्व के अधिग्रहण पर मुआवजे की नई दर लागू करने के आदेश को निरस्त कर दिया।

 

 

 

 

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