बिलासपुर । राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर उच्च न्यायालय सहित छत्तीसगढ़ की 357 लोक अदालत खंडपीठों में पक्षकारों की आपसी सहमति के आधार पर एक लाख से अधिक प्रकरणों को सुलझाया गया।
शनिवार 11 दिसंबर को तहसील स्तर से लेकर उच्च न्यायालय तक सभी न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत रखी गई, जिनमें राजीनामा योग्य प्रकरणों का आपसी सुलह से निराकरण किया गया। इन लोक अदालतों में पक्षकारों की भौतिक के अलावा वर्चुअल उपस्थिति भी रही।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष गौतम भादुड़ी के निर्देश पर प्रत्येक जिले में मजिस्ट्रेट की स्पेशल सीटिंग को शक्तियां प्रदान की गई थी, जिनमें छोटे-छोटे मामले पक्षकारों की स्वीकृति के आधार पर निराकृत किए गए। लोक अदालतों में विशेष प्रकरण जैसे धारा 321 एवं 258 दंड प्रक्रिया संहिता तथा पेट्टी ऑफेंस के प्रकरण रखे गए थे। इसके अलावा कोरोना काल में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत दर्ज प्रकरण भी आए, जिनका निराकरण किया गया। ऐसे मामले जो न्यायालय में प्रस्तुत नहीं हुए थे, उन्हें भी प्री लिटिगेशन प्रकरणों के रूप में पक्षकारों के आपसी समझौते के आधार पर निराकृत किए गए।
इस दौरान जिला न्यायालय रायपुर में नेशनल लोक अदालत का जस्टिस गौतम भादुड़ी ने निरीक्षण भी किया। उन्होंने दुर्ग में पक्षकारों से चर्चा की और उन्हें मामलों के निराकरण के लिए प्रोत्साहित किया।
नेशनल लोक अदालत के लिए पूरे राज्य में 357 खंडपीठों का गठन किया गया था। शनिवार शाम तक मिली जानकारी के अनुसार इनमें एक लाख से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका था। यह संख्या पूरे आंकड़े आने के बाद बढ़ सकती है। रायपुर जिले में 20 साल से लंबित एक प्रकरण का निराकरण भी किया गया।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में चार खंडपीठ बनाए गए थे जिनमें 99 प्रकरणों का निराकरण किया गया। इनमें मोटर दुर्घटना के 84 प्रकरणों का निराकरण करते हुए एक करोड़ 99 लाख 67 हजार 188 रुपए के अवार्ड पारित किए गए।

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