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मधुमेह से होने वाले संक्रमण पर रोकथाम के लिए कारगर दवा पर शोध, पारम्परिक दवाओं में कई खामियां  

बिलासपुर। गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय की प्राकृतिक संसाधन अध्ययनशाला के अंतर्गत  फार्मेसी विभाग में मधुमेह बीमारी से त्वचा पर होने वाले संक्रमण का अध्ययन किया गया है। शोधार्थी डॉ. सुरेश कुमार साहू ने इस विषय का अध्ययन किया। उनकी शोध निर्देशक डॉ. अल्पना राम, सह-प्राध्यापक, फार्मेसी विभाग हैं। शोधार्थी डॉ. साहू के शोध प्रबंध का शीर्षक ‘‘डेवेलपमेंट एंड कैरेक्टराइजेशन ऑफ नावेल लिपिड बेस्ड वेसीक्यूलर सिस्टम फॉर ट्रीटमेंट ऑफ डीप स्किन इन्फेक्शन इन डायबिटीक मॉडल‘‘ है।

उल्लेखनीय है कि मधुमेह जीवन शैली से जुड़ी बीमारी है। विश्व में मधुमेह रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मधुमेह के रोगियों में त्वचा के संक्रमण जैसे फुरुनकुलोसिस, फोलिकुलिटिस, त्वचा में फोड़े होने का खतरा अधिक रहता है। इसका इलाज पारंपरिक दवाइयों से किया जाता है, जिसमें कई खामियां हैं। इसे देखते हुए लिपिड आधारित दवा वितरण प्रणाली पर शोध किया गया है, जो पारंपरिक वितरण प्रणाली की तुलना में अधिक प्रभावी है। एथोसोम, ट्रांसफरसोम जैसे लिपिड वेसिकल त्वचा में गहराई तक प्रवेश के लिए अधिक लचीलापन और अति विकृत गुण प्रदान करता है जो त्वाचा के पारगमन में वृद्धि करती है।

फार्मेसी विभाग में किया गया शोध कार्य मधुमेह के दौरान त्वचा और कोमल ऊतकों के संक्रमण के उपचार के लिए दवा के जमाव को बढ़ाने के लिए एंटीबायोटिक दवा (लाइनजोलिड) के सामयिक वितरण पर आधारित है।

 

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