पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल सहित विशेषज्ञों ने रखे विचार

बिलासपुर। गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय की जीव विज्ञान अध्ययनशाला के अंतर्गत फोरेंसिक साइंस विभाग में छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (सीजीकॉस्ट), रायपुर द्वारा प्रायोजित पांच दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का मंगलवार को हुआ।

15 से 19 अक्टूबर, 2019 तक चलने वाली इस पांच दिवसीय राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यशाला का विषय ‘‘एक्सप्लोरेशन ऑफ इम्पॉरटेंस ऑफ फोरेंसिक टेक्नीक्स बाय हेंड्स ऑन ट्रेनिंग टू दि बेनिफिट्स ऑफ सोसायटी‘‘ है। यह कार्यशाला विश्वविद्यालय के कौशल विकास प्रकोष्ठ एवं फोरेंसिक साइंस विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हो रही है। उद्घाटन समारोह में जीव विज्ञान अध्ययनशाला के अधिष्ठाता प्रो. बी.एन. तिवारी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए, स्वागत उद्बोधन दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डी.के. सतपथी, सेवानिवृत्त निदेशक, मेडिकोलीगल इंस्टीट्यूट, भोपाल ने अपराधों की जांच एवं अन्वेषण के दौरान फोरेंसिक साइंस किस प्रकार मददगार साबित होता है की जानकारी प्रतिभागियों को प्रदान की। उन्होंने भोपाल गैस त्रासदी के दौरान फोरेंसिक मेडिकोलीगल साइंस की उपयोगिता को बताया।

जिला पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि पुलिस को कोर्ट में अपने पक्ष को साबित करने के लिए फोरेंसिक साइंस लैब से परीक्षण के उपरांत मिलने वाले प्रतिवेदन से न्यायालय में आरोप को साबित करने में मदद मिलती है।

जिला विधिक सेवा प्रकोष्ठ के सचिव ब्रजेश राय ने कहा कि वैज्ञानिक एवं तकनीकी जानकारी बहुत अहम है। घटना स्थल से सबूतों के एकत्रीकरण एवं फोरेंसिक अन्वेषण की कमी के चलते कई बार अपराध न्यायालय में साबित नहीं हो पाते हैं तब इसके तकनीकी एवं वैज्ञानिक पक्ष की अहमियत का पता चलता है।

उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता ने कहा कि फोरेंसिक साइंस उनकी रुचि का विषय है। जिला पुलिस के साथ विश्वविद्यालय के फोरेंसिक साइंस विभाग के छात्र-छात्राओं की इंटर्नशिप के लिए भी पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल से चर्चा की है जो आने वाले समय में विभाग के छात्रों को लाभ पहुंचाएगी।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि वर्तमान में सबसे ज्यादा अपराध साइबर क्षेत्र में हो रहे हैं। इसलिए इस तरह के आयोजन होते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि साइबर विशेषज्ञ, साइबर अपराध को रोकने में सक्षम हैं फिर भी युवा सावधान रहें।

इससे पूर्व कोर्स कोऑर्डिनेटर एवं फोरेंसिक साइंस विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. भारती अहिरवार ने पांच दिवसीय कार्यशाला के विषय में प्रतिभागियों को जानकारी प्रदान की। इस अवसर अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन कौशल विकास प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डॉ. राजेश भूषण ने किया। इस कार्यशाला में 80 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर पी.एस. भगत, निदेशक, रीजनल फोरेंसिक साइंस लैब, बिलासपुर, विभिन्न अध्ययनशालाओं के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षक, शोधार्थी एवं प्रतिभागी उपस्थित थे।

आयोजन समिति के सदस्यों में विश्वविद्यालय के फोरेंसिक साइंस विभाग के शिक्षक डॉ. आई. अर्जुन राव, डॉ. सुधीर यादव, डॉ. अजय अमित, डॉ. चंचल कुमार, डॉ. मोमिता सिन्हा, डॉ. प्रीतिका चटर्जी, शिवम् चौरसिया, एकता जायसवाल, सुषमा उपाध्याय, दीक्षा कश्यप एवं ब्लेसी एन. उइके शामिल हैं।

16 अक्टूबर को कार्यशाला के दूसरे दिन पी.एस. भगत, निदेशक, रीजनल फोरेंसिक साइंस लैब, बिलासपुर एवं एस. विश्वास, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी, रीजनल फोरेंसिक साइंस लैब, बिलासपुर व्याख्यान देंगे। कार्यशाला के तीसरे दिन प्रथम सत्र में डॉ. एस.एस. गोले, मेडिकोलीगल एक्सपर्ट, सिम्स, बिलासपुर एवं द्वितीय सत्र में पोस्टमार्टम विषय पर व्याख्यान एवं डेमो होगा। चौथे दिन डॉ. सुभाष बनर्जी, सहायक प्राध्यापक, रसायन विज्ञान विभाग, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर क्रोमेटोग्राफी एवं स्पेक्ट्रोफोटोमिट्री के तकनीकों की फोरेंसिक साइंस में उपयोगिता एवं तकनीक के प्रयोग की कार्यविधि पर चर्चा की जाएगी। कार्यशाला के अंतिम दिन डॉ. सुनंदा डेंगे, फोरेंसिक एक्सपर्ट का क्श्चंड डाक्यूमेंट्स एवं सिग्नेचर एनालिसिस पर व्याख्यान होगा।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here