प्राण चड्ढा (पूर्व सम्पादक, दैनिक भास्कर)। हरदिल अज़ीज मरहूम मध्यप्रदेश सरकार में बरसों तक वजीर रहे बीआर यादव की प्रतिमा का बरसों बाद अनावरण हुआ। बिलासपुर के विधायक कई बार रहे, बीआर यादव ने पत्रकारिता से राजनीति में पदार्पण किया और जमीन से जुड़ी सोच के कारण जब वह उच्चपद पर आसीन हुए तो इस शहर के विकास को नया आयाम मिला।

उनकी प्रतिमा स्थापना के साथ साथ आज के नेताओं को उनकी विकास सम्बन्धित कार्यशैली से सीखने की बड़ी जरूरत है। वह था उनका टीम वर्क और आदमी की पहचान। जब व्यक्ति नहीं रहता, तब वर्षों बाद उसके कार्यों का सही मूल्यांकन होता है।

बीआर यादव की कार्यशैली को मैंने बहुत करीब से देखा और सीखा। उनमें विकास की बिसात पर सही मोहरे को बिठाना खूब आता था। जातिगत समीकरण से ऊपर उनकी पहचान रही। कार्पोरेट जगत में जुड़ कर बाद मैं समझा कि यादवजी ने कार्पोरेट की परिणाम मूलक नीति को अपनाया। जो जिस जिस काम में माहिर था उसको वही काम सौंपा और वे उसके सहयोगी बन साथ पीछे रहे। ई अशोकराव और बीआर यादव कांग्रेस की राजनीति में अलग अलग खेमे से थे,पर मैने उनको सदा नगरीय विकास के मामले में साथ साथ देखा।

ई अशोक राव बिलासपुर के प्रथम महापौर बने तब बीआर यादव का साथ उनको मिला। सकरी में कृषि और पशुधन की विशाल प्रदर्शनी दोनों के संयुक्त प्रयास का प्रतिफल था। यह अब खेमेबाजी की राजनीति में सम्भव नहीं है।

यादव ने योजनाकार रामबाबू सोन्थलिया को शहरी विकास का दायित्व बिलासपुर विकास प्रधिकरण का अध्यक्ष बनाकर सौंपा। मालधक्का रेलवे की जमीन पर चलती थी, जहां बिजली का अभाव था। किराने आदि का थोक व्यापार करने वाले दो सौ व्यापारियों को व्यापार विहार में व्यवस्थित किया। यहां वैगन तोड़ माफिया का रात होते आतंक शुरू हो जाता था।

अरपा नदी के एक तरफ ही शहर का विकास हो रहा था। इसके सन्तुलित विकास के लिए राजकिशोर नगर की योजना को लांच किया गया। साहित्य से राजनीति में गए श्रीकांतवर्मा के पिता राजकिशोर के स्मृति में बसा या उपनगर, आज सुव्यवस्थित आवासीय एरिया है। एसईसीएल का मुख्यालय और गुरुघासीदास विश्वविद्यालय की स्थापना यादव जी के उच्च सम्पर्क सूत्रों का प्रतिफल है।

यादवजी ने राजा रघुराज सिंह स्टेडियम के पीछे की रिक्त जमीन सामाजिक संस्थाओं को आवंटित करवाई और सीएमडी कॉलेज के करीब लायन्स क्लब और उद्योग संघ को।

राज्य सभा सदस्य वीणा वर्मा, जयपुर को बेटी और बिलासपुर की बहू रहीं। उनके सांसद मद का उपयोग बिलासपुर नगरीय विकास के लिए हुआ। हरीश केडिया भी बीआर यादव के साथ  उद्योग संघ के कामों में जुड़े रहे और यादव जी उनको मानते थे।

उनके करीब मित्र ठाकुर बलराम सिंह, पत्रकार डीपी चौबे, शेख गफ्फार, राजेश पांडेय, राकेश शर्मा, अटल श्रीवास्तव, विजय पांडेय, शौकत अली चिश्ती  संगठन से लेकर विकास के कामों में साथ रहते।

कालीचरण यादव। ये वह नाम है, जिन्होंने यादव समाज में बदलाव लाया। रावत नाच पर जो लोग बदला और बैर भांजते थे वही यादव शौर्य और कला के नृत्य के प्रतियोगिता के प्रतिभागी हो गए। भरत यादव,  भुनेश्वर यादव, कृष्ण यादव इसमें लगे और बीआर यादव जी के स्मृति शेष होने के बाद भी राउत नाच महोत्सव इस धरती की पहचान है।

बीआर यादव को लेकर उनकी बाद की पीढ़ी और भाजपा सरकार के लंबे समय तक मंत्री रहे अमर अग्रवाल ने भी कहा है कि यादव ने आदर्श नेता के रूप राजनीति को दिशा दी और उनकी कार्यशैली से मैंने भी काफी सीखा।

 

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