पार्श्व गायक कुमार सानू से ख़ास बातचीत
पार्श्व गायक कुमार सानू का कहना है कि 1990 के दशक के फिल्मी गीतों में रोमांटिक मेलौडी की जो धूम हुआ करती थी उसके दुबारा लौटने की उम्मीद नहीं है। अब संगीत में शोर ज्यादा है, पर क्या करें लोगों की मांग भी यही है। पद्मश्री सम्मानित इस कलाकार का मानना है कि ऐसे पुरस्कारों के लिए सिफारिशों की जरूरत पड़ती है।
कुमार सानू को पद्मश्री सम्मान मिल चुका है। उनके नाम लगातार पांच बार फिल्म फेयर पुरस्कार हासिल करने का रिकॉर्ड है। एक ही दिन में 28 गाने का रिकॉर्ड कराने के बाद तो उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल हो चुका है। पुरस्कारों को लेकर पूछे गए सवालों पर उन्होंने कहा कि इसमें सिफारिश और राजनीतिक पकड़ की जरूरत होती है। उनके साथ ऐसा कोई टैग नहीं लगा है। उन्होंने साफगोई से कहा कि जब प्रणव दा (प्रणव मुखर्जी) राष्ट्रपति थे तो उन्होंने चयन समिति को सुझाव दिया था कि ये अच्छा गायक है, इसे पुरस्कार देना चाहिए। आखिर उनके ही हस्ताक्षर से ही यह पुरस्कार मिलना था-तो उन्हें मिल गया।
सारेगामा, इंडियन आयडल जैसी प्रतियोगिताओं में प्रतियोगियों की जज इतनी जमकर तारीफ करते हैं कि आज उन्हें सुपर स्टार होना चाहिए, पर वे कहां गुम हो जाते हैं, पता नहीं चलता-ऐसा क्यों? सवाल के जवाब में सानू ने कहा कि यह एक गेम शो है। लाखों लोग इन उभरते कलाकारों को सुनते हैं, उनके बारे में बुरा बोलकर परफार्मेंस देने वालों को मायूस नहीं किया जा सकता। तारीफ करने से उनका मनोबल बढ़ता है, साथ ही उन्हें अपनी रोजी-रोटी चलाने का मौका भी भविष्य के लिए मिल जाता है।
कुमार सानू ने कहा कि किशोर कुमार उनके ‘डैडी’ हैं और वही सबसे पसंदीदा पार्श्व गायक भी हैं। लगभग 20 हजार गाने गा चुके सानू को अपने खुद के गाये गीतों में ‘जब कोई बात बिगड़ जाए’ सबसे ज्यादा पसंद है। सानू ने बताया कि उन्होंने अनेक क्षेत्रीय भाषाओं में गीत गाए हैं। छत्तीसगढ़ी में भी उन्होंने कल्याण सेन के संगीत निर्देशन में गीत गाए। सानू का मानना है कि बॉलीवुड के गीत-संगीत में सबसे ज्यादा पहुंच और पकड़ बंगाल की है, वहां तो हर घर में एक प्रतिभा है। उत्तर भारत में उत्तरप्रदेश से कम लेकिन बाकी राज्यों से बॉलीवुड में काफी लोगों ने पहचान बनाई। जहां तक क्षेत्रीय कलाकारों की बात है, उनकी राष्ट्रीय स्तर पर तब तक पहचान नहीं बन सकती, जब तक वे मुम्बई में आकर संघर्ष न करें।
सानू ने बताया कि उनका पहला शौक गाना ही है, दूसरा देश-विदेश घूमना। ये दोनों शौक तो अपने पेशे की वजह से पूरे हो ही जाते हैं, इसके अलावा उन्हें कुकिंग का भी शौक है। इंडियन आयडल के कार्यक्रम में रविवार को तीसरी बार टीवी पर दिखने वाले हैं, जिसमें इस प्रतिभा का पता चलेगा।
एनटीपीसी का स्थापना दिवस 7 नवंबर को होता है, लेकिन चुनावों के चलते इसे स्थगित कर 30 नवंबर को सीपत स्थित संयंत्र में मनाया गया। कुमार सानू और उनके साथ आए विप्लब चक्रवर्ती, अनुराधा आदि कलाकारों ने 90 के दशक के गीतों से वहां उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।