बिलासपुर। नगर निगम की सीमा विस्तार कर इसमें तीन नगरीय निकायों सहित 29 गावों को शामिल करने का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा जायेगा। इसे लेकर बुलाई गई बैठक में बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय ने इसे भविष्य के लिये जरूरी प्रस्ताव बताते हुए उपस्थित जनप्रतिनिधियों से सहयोग मांगा और इसके लिए हाथ भी जोड़ा। भाजपा की ओर से बिल्हा विधायक के प्रतिनिधि ने सिरगिट्टी और तिफरा को इसमें शामिल करने का विरोध किया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने पदभार ग्रहण के बाद पहले बिलासपुर प्रवास के दौरान 31 दिसम्बर 2018 को नगर निगम सीमा में विस्तार करने की घोषणा की थी। इस पर अब अमल शुरू हो गया है। ज्ञात हो कि कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान नगर निगम की मेयर इन कौंसिल द्वारा बिलासपुर नगर निगम की सीमा में विस्तार करने का प्रस्ताव 9 अप्रैल 2012 को पारित किया गया था। नगर निगम सामान्य सभा में 30 अगस्त 2012 को यह प्रस्ताव स्वीकृत किया गया था। भाजपा के पिछले कार्यकाल में इसे अमल पर लाने की सुगबुगाहट हुई थी, लेकिन प्रभावित क्षेत्रों के कई नेताओं के विरोध के कारण इस पर अमल नहीं हो पाया। अब इसी पारित प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए राज्य शासन के पास भेजा जायेगा।

राज्य शासन द्वारा यदि प्रस्ताव को स्वीकृति मिल जाती है तो प्रभावित होने वाले नगरीय निकायों और ग्राम पंचायतों और यहां के निवासियों से दावा-आपत्ति मंगाई जायेगी। प्रस्ताव में बताया गया है कि शामिल किये जाने वाले तीन नगर निकाय व अन्य 26 ग्रामों की कुल जनसंख्या 1,99970 और क्षेत्रफल 146.363 वर्ग किलोमीटर है। इन प्रस्तावित ग्रामों के नगर-निगम की सीमा में शामिल होने के पश्चात् नगर निगम की सीमा लगभग 176.80 वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या 5 लाख से अधिक हो जायेगी। जनसंख्या का आंकड़ा सन् 2011 की जनगणना के अनुसार है, जिसमें अब काफी वृद्धि हो चुकी है।

नगर निगम की सीमा में यदि विस्तार के प्रस्ताव पर विचार होता है तो इसे बी ग्रेड शहर का दर्जा मिल जायेगा, जिसके बाद केन्द्र व राज्य शासन से अधिक अनुदान मिल सकेगा और यहां के नागरिकों को ज्यादा सुविधाएं मिल सकेंगीं।

बिलासपुर नगर निगम में नगरपालिका तिफरा, नगर पंचायत सिरगिट्टी तथा सकरी एवं 26 ग्राम पंचायत मंगला, उसलापुर, अमेरी, घुरु, तुरकाडीह, लोखंडी, परसदा, बन्नाक डीह, फदहाखार, कोरमी, महमंद, धूमा, मानिकपुर, ढेका, दोमुहानी, देवरीखुर्द, मोपका, चिल्हाटी, लिंगियाडीह, बिजौर, परसाही, बहतराई, खमतराई, कोनी, सेंदरी और बिरकोना को शामिल किया जाना प्रस्तावित है।

नगर निगम की अगली परिषद् के लिए चुनाव इस वर्ष के अंत में अथवा अगले वर्ष में जनवरी माह में हो सकता है। यदि सीमा विस्तार के प्रस्ताव पर अभी अमल शुरू किया जाता है तो इसे मूर्त रूप देने में लगभग 6 माह लग सकते हैं। इसके बाद नये सिरे से वार्डों के गठन की प्रक्रिया भी पूरी की जायेगी। इस प्रस्ताव पर तेजी से काम होने पर ही अगला चुनाव नई सीमा के अंतर्गत कराये जा सकेंगे।

प्रभावित होने वाले नगरीय निकायों तथा ग्रामों के जन-प्रतिनिधियों की एक बैठक सोमवार को जिला कलेक्टर डॉ. संजय के. अलंग ने मंथन सभाकक्ष में बुलाई थी।

बैठक में बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय ने इसे बहुत जरूरी प्रस्ताव बताते हुए कहा कि जनता चाहती है कि बिलासपुर महानगर बने, इसके लिए नगर निगम की सीमा में विस्तार आवश्यक है। उन्होंने बैठक में उपस्थित जन-प्रतिनिधियों से इस प्रस्ताव पर सहमति देने की हाथ जोड़कर अपील की।

दूसरी ओर बैठक में उपस्थित नेता प्रतिपक्ष व बिल्हा के विधायक धरमलाल कौशिक के प्रतिनिधि भूपेन्द्र सवन्नी ने तिफरा और सिरगिट्टी को नगर निगम की नई प्रस्तावित सीमा में शामिल करने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि एक ओर क्षेत्र के विकास के लिए छोटे-छोटे जिले बनाये गए हैं वहीं नगर निगम की सीमा के विस्तार के लिए नगरीय निकायों को खत्म किया जाये, सही नहीं है। यहां नागरिकों के लिए जनप्रतिनिधि और अधिकारी सुलभ नहीं रह पायेंगे, उन्हें नगर निगम आकर अपना काम कराने में दिक्कत होगी। अभी उनकी समस्याओं का निराकरण वहीं हो जाता है।

इस पर बैठक में उपस्थित नगर निगम आयुक्त प्रभाकर पांडेय ने कहा कि सीमा बढ़ने के बाद नगर निगम के नये जोन स्थापित किये जाएंगे, जहां अधिकारी समस्याओं को सुनने व हल करने के लिए उपलब्ध रहेंगे। तखतपुर विधायक रश्मि सिंह ने कहा कि सम्बन्धित गांवों में जन सुनवाई रखकर उनकी राय ली जाये। उन्होंने यह भी कहा कि जिन गांवों को शामिल किया जाना है वहां पहले विकास के कार्य किये जाएं उसके बाद नगर निगम के टैक्स लगाये जाएं। मस्तूरी के विधायक डॉ. कृष्ण मूर्ति बांधी ने कहा कि उनके क्षेत्र के 6 ग्रामों को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है। 2011 से लेकर अब तक इन गांवों की जनसंख्या बढ़ चुकी है। इस पर कलेक्टर ने उनके सुझाव के अनुसार आयुक्त को नये आंकड़े के लिए अलग कॉलम बनाकर उसे दर्ज करने का निर्देश दिया।

बेलतरा के विधायक रजनीश सिंह ने भी जरूरी सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि जिन गांवों को शामिल किया जा रहा है उनमें कई वन भूमि हैं, इन्हें नगर निगम अपनी सीमा के भीतर किस तरह लेगा। इनमें बहुत से लोग अतिक्रमण करके भी रहते हैं, क्या  उन्हें बेदखल कर दिया जायेगा? आयुक्त पांडेय ने कहा कि अतिक्रमण कर आवास बनाने वालों को पक्का मकान शासन की सबके लिए आवास योजना के तहत मिल जायेगा।

कहा कि जिन गांवों को शामिल किये जाने का प्रस्ताव है उन गांवों में विकास कार्य प्राथमिकता से किया जाये। नगर निगम के महापौर किशोर राय ने सुझाव दिया कि एक कंसलटेंट नियुक्त किया जाये,जो अध्ययन करे कि नगर निगम सीमा में शामिल करने से इन गांवों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बिलासपुर स्मार्ट सिटी पर इस प्रस्ताव के अमल से क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका परीक्षण कराया जाना चाहिये।

कुछ प्रतिनिधियों ने यह सुझाव दिया कि सीमा विस्तार का प्रस्ताव शासन की ओर से आना चाहिये, नगर निगम की ओर से क्यों भेजा जा रहा है। इस पर कलेक्टर डॉ. अलंग ने उदाहरणों के साथ प्रस्ताव की जरूरत बताई। अनेक जनप्रतिनिधियों ने नये शामिल किये जाने वाले क्षेत्रों की उपेक्षा होने व विकास नहीं होने की आशंका व्यक्त की। नगर निगम आयुक्त ने इस पर कहा कि राजकिशोर नगर, देवरीखुर्द के कई हिस्से अभी भी पंचायत के अंतर्गत है लेकिन वह पेयजल व स्वच्छता कार्य नगर निगम द्वारा किया जाता है। कई पंचायतों में अमृत योजना को लागू किया जाना है, पर नगर निगम में शामिल नहीं हो पाने के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है। इसी तरह मंगला सहित कुछ अन्य पंचायतों ने अपने यहां भी डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन की मांग की है पर नगर-निगम क्षेत्र में नहीं होने के कारण इस पर भी अमल नहीं हो पा रहा है। कलेक्टर डॉ. अलंग ने कहा कि प्रस्ताव में जनप्रतिनिधियों की राय को शामिल किया जायेगा और जो भी प्रस्ताव शासन को भेजा जायेगा वह सभी के हित में होगा। उन्होंने यह भी बताया कि नई सीमा निर्धारित करने से पहले दावा आपत्ति की प्रक्रिया पूरी की जायेगी, जिसमें भी जनप्रतिनिधि सहित आम नागरिक अपनी बात रख सकेंगे।

 

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