करगीरोड (कोटा)। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी, अंधविश्वास और रूढ़ियों के चलते नेत्रदान के महत्व को समझाना अब भी कठिन है लेकिन आज 85 वर्षीय भगवती अग्रवाल के नेत्रदान ने इस मिथक को तोड़ दिया। कोटा क्षेत्र में पहली बार नेत्रदान हुआ।

कोटा निवासी सुभाष, अतुल व विपुल अग्रवाल की माता भगवती देवी का आज 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मृत्यु के पहले उन्होंने नेत्रदान का संकल्प लिया था। अग्रवाल परिवार ने इसके बाद संस्था ‘कदम’ से सम्पर्क किया। कदम संस्था ग्रामीण क्षेत्रों में नेत्रदान जागरूकता का काम कर रही है। संस्था के लोगों ने सूचना मिलने पर सिम्स में नेत्र विभाग के सर्जन डॉ. विवेक सिंह और डॉ. राकेश अग्रवाल के सहयोग से नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी कराई। भगवती देवी के नेत्रों से दो नेत्रहीनों के जीवन में रोशनी आयेगी।

कदम संस्था की कोटा इकाई के सदस्य विश्वनाथ गुप्ता, रितेश कुमार चौधरी ने समय पर नेत्र दान की प्रक्रिया पूरी हो इसके लिए प्रयास किया।

कदम के सदस्य सुनील आडवाणी,डॉक्टर श्वेता चेतानी, नई पहल के सतराम जेठमलानी, राष्ट्रपति पदक प्राप्त ट्विंकल आडवाणी, डॉक्टर कुश श्रीवास्तव, तरु फाउंडेशन के संस्थापक सदस्य डॉक्टर योगेश कनौजे और आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक राजकुमार अग्रवाल नेत्रदान से जुड़े विषयों पर जगह-जगह पहुंचकर लोगों को जागरूक करते हैं और उनसे संकल्प पत्र भरवाते हैं l

पिछले साल कदम  संस्था ने एक हजार से अधिक लोगों के नेत्रदान का संकल्प पत्र भरवाया। संस्था का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में नेत्रदान हेतु लोगों को जागरूक करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी जागरुकता की सबसे ज्यादा है क्योंकि सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को धान की सफाई के समय होती है।  धान की बाली उनकी कार्निया को खराब करती है। संस्था के सदस्य बताते हैं भारत देश में लाखों लोगों को कार्निया की जरुरत है जिनमें से 60% लोग 12 वर्ष से कम आयु के बच्चे हैं।  उनके सामने पूरा जीवन पड़ा हुआ है पर उन्हें कार्निया नहीं मिल पाता है।

ऐसा नहीं है कि भारत में कार्निया की कोई कमी है, हम सब उसे प्रतिदिन जलाते हैं। जरूरत है तो सिर्फ जागरूकता की l श्रीलंका एक ऐसा देश है जो नेत्रदान को परंपरा के रूप में मनाता है l पूरी दुनिया में श्रीलंका एकमात्र देश है जो कार्निया एक्सपोर्ट करता है l

संस्था के सदस्यों ने बताया कि नेत्रदान के प्रति सब जागरूक हो जायें तो 10 से 12 दिनों के अंदर सारे प्रतीक्षा सूची समाप्त हो जाएगी अभी 10-10 साल की वेटिंग चलती है।

 

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