बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डबल बेंच ने मीसा बंदियों के पक्ष में दिए गए सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखा है और उनका पेंशन बंद करने के फैसले को रद्द कर दिया है।
ज्ञात हो कि सन 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान जेल जाने वाले बंदियों को राज्य में सन 2008 से सम्मान निधि के रूप में पेंशन दी जा रही थी। उन्हें लोकतंत्र सेनानी का दर्जा दिया गया था। योजना के अंतर्गत 6 माह से कम अवधि तक जेल में रहने वालों को 15 हजार रुपए और इससे अधिक दिनों तक बंद रहने वालों को 25 हजार रुपए पेंशन दी जा रही थी। कांग्रेस सरकार बनने के बाद फरवरी 2019 में यह सम्मान निधि बंद कर दी गई।
राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ मीसाबंदियों ने हाईकोर्ट में 40 से अधिक याचिकाएं दायर की थी। उन्होंने पेंशनरों के जाने के कारण आजीविका का संकट खड़ा होने की बात करते हुए इसे चालू रखने की मांग की थी।
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मीसा बंदियों के पक्ष में फैसला देते हुए सम्मान निधि जारी रखने और रुकी हुई राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था।
इसे खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार ने डबल बेंच में अपील की थी। साथ ही एक अधिसूचना जारी कर सम्मान निधि योजना को बंद कर दिया था। मीसाबंदियों ने अधिसूचना के खिलाफ भी याचिका लगाई थी।
चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस इनके व्यास की डबल बेंच ने प्रकरण पर अंतिम सुनवाई 2 माह पूर्व की थी और फैसला सुरक्षित रखा था।