बिलासपुर। सरकंडा थाने में पदस्थ एक प्रधान आरक्षक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। खुदकुशी के कारणों की पुलिस जांच कर रही है। बताया जाता है कि उस पर मालखाने की जिम्मेदारी थी, जिसे लेकर वह तनाव में था। ड्यूटी के आखिरी दिन थाने में पदस्थ प्रशिक्षु डीएसपी द्वारा डांटे जाने की बात भी सामने आ रही है।
जानकारी के मुताबिक प्रधान आरक्षक लखन मरावी (53 वर्ष) गुरुवार की शाम को ड्यूटी खत्म कर घर लौटा। जब सभी लोग सो गए तो रात करीब 12 बजे वे घर से बिना किसी को कुछ बताए घर से निकल गए। रात करीब 3.30 बजे तक वह नहीं लौटे तो परिजनों ने सरकंडा थाने फोन लगाया। वहां जानकारी मिली कि वह वहां नहीं पहुंचा था, रात में उसकी कोई ड्यूटी भी नहीं लगाई गई थी। पुलिस ने तब उसकी तलाश की। सुबह करीब 4 बजे घर के पास ही एक नीम के पेड़ में उनकी लाश फांसी के फंदे पर लटकी हुई मिली। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसके पास कोई सुसाइडल नोट नहीं मिला है। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की है और मामले की जांच कर रही है।
मृतक हवलदार के पास थाने के मालखाने की जिम्मेदारी पिछले 4-5 माह से थी। थाने में पदस्थ स्टाफ के मुताबिक वह इस प्रभार को लेकर दबाव में था, क्योंकि यहां नगद राशि के अलावा जेवर व अन्य कीमती सामान रखे जाते हैं, जिसका हिसाब-किताब रखना मुश्किल हो जाता है। उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उसी पर थी। इस बीच उसे कुछ सामान कोर्ट में पेश करना था। जानकारी के मुताबिक प्रशिक्षु डीएसी रोशन आहूजा इस समय थाने के प्रभारी निरीक्षक हैं। कहा जा रहा है कि उन्होंने जब्त माल कोर्ट में पेश करने के लिए गुरुवार को प्रधान आरक्षक को डांट फटकार लगाई थी। हालांकि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इस बात से इंकार किया है। प्रशिक्षु डीएसपी की थाना प्रभारी के रूप में ड्यूटी पूरी हो चुकी है। इसके बावजूद उन्हें नया प्रभार नहीं दिया गया है।
पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने बताया है कि आत्महत्या का कारण अज्ञात है। उसने कोई सुसाइडल नोट नहीं छोड़ा है। परिजनों ने भी किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया है। वह बीमार भी लग रहा है। मामले की जांच जारी है।

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