प्रोफेशनल कांग्रेस ने रखी ‘नफरत के माहौल में बापू से क्या सीखें’ विषय पर परिचर्चा

बिलासपुर । नफ़रत है हर ओर, बापू से क्या सीखें ऐसे में? विषय पर ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस ने परिचर्चा रखी थी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ संजय अलंग कमिश्नर बिलासपुर थे। आयोजित चर्चा में अध्यक्षता “कौन है भारत माता” के लेखक प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल ने की। उन्होंने कहा, गांधी मजबूती का नाम है,मजबूरी का नहीं। गांधी को याद करना हमारी विवशता और ज़रूरत दोनों है।

नेशनल मूवमेंट फ्रंट के कन्वेनर डॉ सौरभ बाजपेयी ने कहा कि नफरत के मैकेनिज्म को समझना होगा। दरअसल यह एक राजनैतिक प्रोजेक्ट है ताकि आप वो न देख-समझ सकें जो है। उन्होंने पूछा कि राष्ट्रवादी कौन होगा?  वो जो राष्ट्र के लिए लड़ा, मरा,जेल गया! ठीक, तो नेहरू सुभाष,अंबेडकर और गांधी क्या हुए और कहां हैं इनके विरोधी? नफरत के जवाब में प्यार को भी एक पॉलिटिकल प्रोजेक्ट बनाना होगा। “उसने गांधी को क्यों मारा” और “कश्मीरनामा” के लेखक अशोक कुमार पांडेय ने कहा कि नफरत एक पैकेज में आती है, जिसमें जाति, धर्म तथा लिंग शामिल हैं। गांधी ने जातीय और धार्मिक एकता पर कभी समझौता नहीं किया। गांधी अल्पसंख्यकों के साथ थे तो इसे समग्र रूप में देखें। जहां मुस्लिम कम थे, बापू उनके साथ थे, हिंदू जहां कम थे वे उनके साथ थे। बापू कहते थे कि बहुसंख्यक को अपना फर्ज समझना होगा। आज हम क्या कर रहे हैं?

इसके बाद पूना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हरि नरके ने “कुसुमाग्रज” की कविता को उद्धरित किया और कहा कि बापू तो आज बस दीवारों पर हैं,जबकि तिलक, अंबेडकर और फूले को कोई तो अपना मानता है। इस नफरत की नींव 1925 में नवराष्ट्रवाद की संकल्पना के साथ रखी गई जिसमें समता की कोई जगह नहीं थी। उन्होंने बताया कि कैसे संघ के कुछ लोगों ने संविधान सभा की कार्रवाई को बाधित किया कि ये उन्हें स्वीकार्य नहीं है। नरके ने कहा कि आज दलित समुदाय का शिक्षा बजट कम कर दिया गया,स्वास्थ्य बजट कम किया गया, ये कैसी समानता हैं? उन्होंने पूछा कि कोई बता पाएगा क्या कि बापू के हत्यारों ने कौन सा आंदोलन किया?

अंत में सवाल जवाब का सत्र रखा गया। उपस्थित जनों के सभी सवालों का वक्ताओं ने पूरी संजीदगी से जवाब दिया।

कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रामकुमार तिवारी, नथमल शर्मा, द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, अतुल श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार अशोक शर्मा, राजेश दुआ, सत्यभामा अवस्थी, प्रियंका शुक्ला और अतुल कांत खरे सहित अनेक रचनाकार और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन संजय कुमार वैद्य ने किया।

अंत में बिलासपुर के एआइपीसी प्रेसिडेंट डॉ. अजय श्रीवास्तव ने अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सब आपके विचारों को अपने जीवन में उतार पाएं यही इस कार्यक्रम की सार्थकता होगी।

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