कोपरा जलाशय में वन विभाग के फ्लॉप आयोजन में फिजूलखर्ची को लेकर उठे सवाल

बिलासपुर। कोपरा जलाशय में वन विभाग ने आज पक्षी महोत्सव के नाम पर लाखों रुपये फूंक दिये और पूरा कार्यक्रम फ्लॉप हो गया। वहां पहुंचे पर्यटकों को तब घोर निराशा हुई जब वे जलाशय मे दूरबीन लगाकर भी प्रवासी पक्षियों का कोई झुंड नहीं देख पाये। अलबत्ता वन विभाग ने कोपरा के ग्रामीण और फारेस्ट्री के छात्रों को बुला लिया था ये नहीं आते तो पर्यटकों का टोटा भी पड़ जाता। वन विभाग अब सफाई दे रहा है कि यह पक्षियों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिये रखा गया कार्यक्रम था।
बिलासपुर से करीब 13 किलोमीटर दूर कोपरा व बेलमुंडी गांवों में हजारों प्रवासी पक्षियों का ठंड के समय डेरा रहता है। जिले के वन्य जीव प्रेमी बड़ी संख्या में यहां वर्षों से आते रहे हैं। स्थानीय छायाकारों ने अनेक अच्छी तस्वीरें खींची है, जिनको राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली है। बीते दो तीन सालों से यहां मेहमान पक्षियों का आना जाना लगातार कम होता गया है।
कोपरा जलाशय के किनारे से बने बाइपास रोड के चलते भारी वाहनों का दिन-रात आना जाना लगा रहता है, जिसके चलते पक्षियों का झुंड तितर-बितर हो गया है। स्थानीय शिकारियों पर निगरानी रखने के लिये गार्ड की मांग भी वन विभाग से की जाती रही। उसके अलावा जलाशय का पानी मवेशियों को नहलाकर, कपड़े धोकर, कुछ हिस्सों को पाटकर प्लाटिंग करने के कारण लगातार बर्बाद होता गया है। वन्यजीव तथा पक्षी प्रेमियों ने लगातार यहां पक्षियों के अनुकूल शांत वातावरण बनाने, जलाशय को शुद्ध रखने तथा बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण की मांग उठाई लेकिन इन पर कोई खर्च नहीं किया गया।
पहली बार पक्षी महोत्सव मनाने के लिये वन विभाग ने जानकारी के मुताबिक 20 लाख रुपये स्वीकृत किये थे। सूत्र बताते हैं कि चूंकि वित्तीय वर्ष का समापन हो रहा है विभाग में बैठे जिले के अधिकारी इस रकम को फूंकने के लिये उतावले थे। इसीलिये पक्षियों के संरक्षण को लेकर चिंतित यहां के लोगों से उन्होंने बिना सलाह-मशविरा किये कार्यक्रम तय कर डाला। यह कार्यक्रम यदि माह भर पहले हुआ होता तो भी प्रवासी पक्षी दिखाई दे सकते थे, लेकिन आज के आयोजन में सिर्फ वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी, फारेस्ट्री के कुछ छात्र-छात्रा, रंगोली व चित्रकला प्रतियोगिता को लेकर उत्साहित बच्चे पहुंचे। वन विभाग की ओर से दीवारों पर चित्र किसी पेशेवर कलाकारों की ओर से बनाया गया था। चित्रों में पक्षियों का परिचय भी नहीं था न ही यह स्पष्ट था कि क्या ये ही पक्षी कोपरा जलाशय में आते हैं। बिलासपुर जिले में अनेक जानकार लोग हैं जो इन प्रवासी पक्षियों के बारे में विस्तार से जानते हैं। उनके मूवमेंट को जानते हैं। पर वन विभाग ने उनका सहयोग ही नहीं लिया। जो पर्यटक पहुंचे उन्हें वन विभाग द्वारा बनाये गये मचान पर चढ़कर दूरबीन लगाने के बाद भी कोई प्रवासी पक्षी नहीं दिखा और वे निराश लौटे। हालांकि एक बड़ा पंडाल, पक्षियों के चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई। एक दो विशेषज्ञ इस पर चर्चा करने के लिये भी बुला लिये गये। कुर्सियों की संख्या के हिसाब से यहां पहुंचे लोग बहुत कम थे जिसकी कमी कोपरा के ग्रामीणों को आनन-फानन में बुलाकर पूरी की गई।
विगत 30-40 वर्षों से वन्यजीवों व पक्षियों की फोटोग्रॉफी करने वाले विशेषज्ञ प्राण चड्ढा ने कहा कि यह आयोजन हमारे आपके पैसों की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं था। कोपरा जलाशय का अस्तित्व पक्षियों के लिये कैसे अनुकूल रहे इस पर वन विभाग कुछ कर नहीं रहा और दीवारों पर पक्षियों के चित्र बनाकर महोत्सव मनाया गया है। हास्यास्पद है कि चमकीले कपड़े नहीं पहनने और मोबाइल फोन को साइलेंट मोड में रखने का पर्यटकों को हिदायत दी गई।
बिलासपुर के वन मंडल अधिकारी कुमार निशांत इस आयोजन को सफल बताते हुए कहते हैं कि पक्षियों की उपस्थिति न भी हो तो लोगों को जागरूकता का संदेश दिया गया, जिससे पक्षियों के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
कार्यक्रम का उद्धाटन आज सुबह संभागायुक्त डॉ. संजय अलंग ने किया। समापन अवसर पर संसदीय सचिव व तखतपुर की विधायक डॉ. रश्मि सिंह उपस्थित थीं। कार्यक्रम में वन विभाग के अनेक अधिकारी भी रायपुर, बिलासपुर से पहुंचे।

 

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