बिलासपुर। सर्पदंश से पीड़ित मंगला निवासी मोहम्मद रज्जाक की दो साल की बच्ची एलिजा परवीन को पिछले दिनों गंभीर हालत में सिम्स चिकित्सालय मे दाखिल कराया गया था।

उसे सांप ने काटा था। बच्ची की सांस उखड़ रही थी। डॉक्टरों ने उसे तत्काल वेंटिलेटर पर लेकर इलाज शुरू किया। तीन दिन बाद बच्ची की स्थिति सामान्य हो गई और उसे होश आ गया।

परिजनों के अनुसार बच्ची और परिजन गहरी नींद में थे तभी तड़के चार बजे एलिजा को सांप ने डस लिया। वे बिना समय गंवाये बच्ची को सिम्स लेकर आ गये।

मरीज के इलाज में शिशु रोग विभाग के सीनियर व जूनियर डॉक्टरों व स्टाफ नर्सों ने जी-जान लगाकर सराहनीय भूमिका निभाई। डॉक्टरों की टीम में एचओडी डॉ. राकेश नहरेल, डॉ. वर्षा तिवारी, डॉ. स्वाति यादव, डॉ. पूनम अग्रवाल, डॉ. अभिषेक कलवानी, डॉ. आलोक कश्यप व डॉ. अतीन शामिल थे।

प्रोफेसर नहरेल ने बताया कि सिम्स में सर्पदंश से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस वर्ष जनवरी से लेकर अब तक 37 बच्चों को भरत् किया गया जिनमें से कुछ की हालत बेहद गंभीर थी। विभाग के लिये ये अच्छी बात रही कि उपचार के बाद सभी ठीक हो गये और किसी की मृत्यु नहीं हुई।

डॉ. नहरेल के मुताबिक देश में जहरीले सांपों की 13 प्रजातियों में चार बेहद खतरनाक हैं इनमें नाग या कोबरा, रस्सेल वाइपर, स्केल्ड वाइपर और करैत शामिल हैं। सबसे ज्यादा मृत्यु करैत के काटने से होती है।

डॉ. नहरेल ने कहा कि सांप काटने पर पीड़ित का हौसला बढ़ाये और घबराहट दूर करने में मदद करें। घबराने से ह्रदय की गति बढ़ती है जिससे शरीर में जहर तेजी से फैलता है। मरीज को शांत व सुरक्षित जगह पर ले जायें। जिस जगह पर सांप ने काटा है उसे हाथ के लेवल से नीचे रखना चाहिये। सर्पदंश वाली जगह पर कोई गहना, घड़ी, जूता, मोजा आदि हो तो उतार दें और ढीले कपड़े पहनायें। जख्म पर पट्टी बांधे व काटे हुए जगह को स्थिर रखे। इसके लिये कॉटन का कपड़ा या क्रैप बैंडेज काम में लाया जा सकता है। ये न हो तो पेड़ के छाप, स्लीपिंग बैग या अख़बार का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। कटे हुए हिस्से से छेड़छाड़ न करें और मरीज को जल्दी नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र लेकर जायें।

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