Home अपडेट छत्तीसगढ़ी को संवर्धित करने में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने की अपील

छत्तीसगढ़ी को संवर्धित करने में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने की अपील

डॉ. सीवी रामन यूनिवर्सिटी में छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाया गया।

सीवीआरयू  में पारंपरिक भोजन बनाकर मनाया गया राजभाषा दिवस

बिलासपुर। डॉ सी वी रमन विश्वविद्यालय में छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ी भाषा के के संरक्षण और संवर्धन के साथ युवाओं में छत्तीसगढ़ी साहित्य के प्रति रुचि एवं रचनाशीलता बढ़ाने पर चर्चा की गई।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के डीन अकादमिक डॉ. अरविंद तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ी एक समृद्ध भाषा का समृद्ध इतिहास है। इसका व्याकरण सन् 1885 में तैयार किया जा चुका था। पीढ़ी के जाने के बाद अब छत्तीसगढ़ी शब्द भी विलुप्त या खत्म होते जा रहे हैं। ऐसे में युवाओं को आगे आकर अब छत्तीसगढ़ी साहित्य और रचना शीलता में उत्साह से भागीदारी करनी चाहिए। सीवीआरयू छत्तीसगढ़ी भाषा को संरक्षित एवं संबंधित करने की दिशा में छत्तीसगढ़ी शोध एवं सृजन पीठ के माध्यम से कार्य कर रहा है। कार्यक्रम में संस्कृत के विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश मिश्रा ने कहा कि संस्कृत की तरह छत्तीसगढ़ी भी हर किसी को अपने साथ स्वीकार करती है। आज प्रचार प्रसार के साथ छत्तीसगढ़ी में अधिक से अधिक कार्य करने की जरूरत है। कार्यक्रम में उपस्थित डीन आर्ट्स डॉ संगीता सिंह ने लोकोक्तियों और मुहावरों का महत्व बताते हुए उनको संरक्षित एवं संरक्षित करने की जरूरत बताई। कार्यक्रम में  भाषा विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ मनीषा द्विवेदी ने आभार प्रदर्शन किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद थे। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजन तैयार किया। सभी ने इसका स्वाद चखा। इसके साथ साथ पारंपरिक रंगोली और अन्य सभी छत्तीसगढ़ी जीवन शैली  के संबंधित जानकारी भी विद्यार्थियों को दी गई।

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