आयोग के स्पेशल रिपोर्टर भी बिल्हा में करेंगे जांच

बिलासपुर। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बिल्हा के 23 वर्षीय युवक हरीशचंद्र गेंदले की आत्महत्या को लेकर छपी खबरों को गंभीरता से लिया है। खबरों में कहा गया है कि  थाने में पुलिस कर्मियों द्वारा अपने पिता को अवैध हिरासत में रखकर बेरहमी से पीटते हुए देखने का अपमान सहन नहीं कर पाने के कारण हरीश ने चलती ट्रेन के सामने कूदकर जान दे दी थी।
हरीश चंद्र गेंदले, आत्महत्या बिल्हा।

आयोग ने पाया कि मीडिया रिपोर्ट यदि सही है तो यह पीड़ितों के जीवन और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है। जाहिर तौर पर किसी को बाइक से टक्कर मारने का  मामला मामूली था लेकिन पुलिस ने शक्ति का दुरुपयोग कर न केवल पीड़ित के पिता को अवैध रूप से गिरफ्तार कर हिरासत में लिया, बल्कि उसे बुरी तरह पीटा भी। बेटे ने अपने पिता को पुलिस द्वारा पिटते हुए देखकर अपमान सहा और शर्मिंदगी के मारे आत्महत्या कर ली। पुलिस कर्मियों के स्पष्ट असंवेदनशील और अमानवीय रवैये के कारण एक अनमोल मानव जीवन खो गया।

आयोग ने छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले में जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई सहित पीड़ित परिवार को कोई राहत दी गई है या नहीं, के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है ।

इस बीच, आयोग ने छत्तीसगढ़ राज्य के लिए अपने विशेष प्रतिवेदक उमेश कुमार शर्मा को बिल्हा पुलिस स्टेशन का दौरा करने के लिए कहा है, जो पता लगाएंगे कि डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य 1997 (1) एससीसी 416 में उच्‍चतम न्‍यायालय के निर्देशों का संबंधित जिले के पुलिस अधिकारियों द्वारा कैसे उल्लंघन किया गया। साथ ही उन दोषी लोक सेवकों का पता लगाने के लिए भी कहा गया है जिन्‍होंने कथित पीड़ित को यातनाएं दी। यह संवैधानिक रूप से निषिद्ध है और यातना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र अनुबंधों के मुख्य सिद्धांतों के विरुद्ध है। विशेष प्रतिवेदक से दो माह के भीतर अधिकारियों पर बेहतर जवाबदेही तय करके हिरासत में यातना के इस खतरे को रोकने के उपाय सुझाने की अपेक्षा की गई है।

ज्ञात  हो कि पीड़ित की मोटरसाइकिल छात्राओं के एक समूह से टकरा गई थी। इसमें साइकिल क्षतिग्रस्त हुई थी उन्‍होंने उसके खिलाफ शिकायत की और पुलिस उसकी तलाश में उसके घर आई। पुलिस को वह घर पर नहीं मिला और पुलिस उसके बजाय उसके पिता को पुलिस स्टेशन ले गई। पिता की गिरफ्तारी की खबर पीड़ित के संज्ञान में आने पर वह थाने पहुंचा और पाया कि पुलिस हिरासत में उसके पिता को पुलिस कर्मियों द्वारा पीटा जा रहा है। बाद में, पिता और पुत्र दोनों को उसी रात पुलिस ने रिहा कर दिया। घटना के अगले दिन कथित तौर पर परेशान युवक ने घर छोड़ दिया और चलती ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली।

ज्ञात हो कि बिलासपुर की पुलिस कप्तान ने इस मामले में एक सिपाही रुपलाल चंद्रा को निलंबित किया है। परिजन उसके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। वे थाना प्रभारी व अन्य स्टाफ को भी सस्पेंड कर जांच की मांग कर रहे हैं। सिपाही ने पिता को छोड़ने के ले 20 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। यह बात निकलकर आई है कि सिपाही का कुछ समय पहले पचपेड़ी थाने में तबादला हो गया था जिसे थाना प्रभारी ने रुकवाया था। इस घटना की जांच के लिए एसपी ने एक सीएसपी और टीआई की दो सदस्यीय टीम बनाई है। साथ ही जिला प्रशासन ने भी दंडाधिकारी जांच का आदेश दिया है।

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