बिलासपुर. प्रमुख सचिव स्वास्थ्य आलोक शुक्ला ने हाईकोर्ट की युगलपीठ के समक्ष शपथ पत्र पेश कर बताया कि वैक्सीन की पहली डोज लगवाने वालों का सर्टिफिकेट सीजा टीका वेबसाइट में अपलोड कर दिया गया है। जिनके नाम सूची में नहीं है वे 104 में फोन कर जानकारी हासिल कर सकते है।याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के समक्ष शिकायत की है कि वेबसाइट में बहुत लोगों के नाम छूट गए है। इस पर युगलपीठ ने ऐसे लोगों की सूची पेश करने के निर्देश दिए है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए आठ जुलाई की तिथि तय कर दी है।
टीकाकरण में गड़बड़ी और लेटलतीफी को देखते हुए हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले को स्वतः संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की है। पूर्व सुनवाई के दौरान पहली डोज लगवाने वालों को दूसरी डोज की तिथि बताने में हीलाहवाला करने और सर्टिफिकेट जारी न करने की शिकायत कोर्ट के समक्ष की गई थी। इस पर कार्यकारी चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू की युगलपीठ ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने के निर्देश दिए थे। मंगलवार को कार्यकारी चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू की युगलपीठ में जनहित याचिका की सुनवाई प्रारंभ हुई। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने शपथ पत्र के साथ जानकारी सौंपी। पेश शपथ पत्र में उन्होंने बताया कि राज्य शासन की सीजी टीका वेबसाइट में वैक्सीन की पहली डोज लगवाने वालों का सर्टिफिकेट अपलोड कर दिया गया है। टीकाकरण में विलंब को लेकर वरूणेंद्र मिश्रा, तुषारधर दीवान, हिमांशु चौबे व न्यायिक कर्मचारी संघ ने अलग-अलग जनहित याचिका दायर की है। इनमें वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर सवाल उठाए गए थे। इसके अलावा दूसरी डोज में की जा रही गड़बड़ी और अलग-अलग वैक्सीन लगाने के बाद दिए जा रहे गलत सर्टिफिकेट को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। लोगों को गलत वैक्सीन का प्रमाण पत्र देने की जानकारी याचिकाकर्ताओं ने अपने वकील के जरिए कोर्ट के समक्ष दी थी।
निमेश शुक्ला और अविनाश प्रताप सिंह ने वकील देवर्षि ठाकुर के जरिए हाईकोर्ट में इसी मुद्दे को लेकर हस्तक्षेप याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने मृत कोरोना मरीजों के सम्मानजनक अंतिम संस्कार की मांग की है। कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता अविनाश प्रताप ने बंदियों को पैरोल पर छोड़ने की मांग की थी। याचिकाकर्ता वरूणेंद्र मिश्रा के वकील राकेश पाण्डेय ने कोर्ट को बताया कि पहली डोज लगवाने वाले कई लोगों के नाम पोर्टल में अपलोड नहीं हुआ है। युगलपीठ ने इसे गंभीरता से लेते हुए ऐसे लोगों की सूची पेश करने के निर्देश दिए है।
इधर, जिला अधिवक्ता संघ ने मृत वकीलों के स्वजनों को आर्थिक मदद देने की मांग करते हुए आवेदन पेश किया हैं। युगलपीठ ने स्टेट बार कौंसिल को नोटिस जारी कर इस संबंध में जानकारी मांगी थी। स्टेट बार कौंसिल ने कोर्ट को बताया कि मृत वकीलों के स्वजनों को आर्थिक मदद देने के लिए हम तैयार है। बार कौंसिल आफ इंडिया से 40 लाख रूपए की मदद मिल चुकी है। जल्द ही जरूरतमंद स्वजनों को आर्थिक मदद दी जाएगी।