सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति समागम समारोह के समापन में शामिल हुए  उप-मुख्यमंत्री

बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) में भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) मध्य क्षेत्र के दो दिवसीय कुलपति समागम का समापन शुक्रवार को हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री अरूण साव थे। समारोह की अध्यक्षता प्रो. जी.डी. शर्मा, अध्यक्ष भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने की।
मंच पर, डॉ. (श्रीमती) पंकज मित्तल, महासचिव भारतीय विश्वविद्यालय संघ, प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल कुलपति गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर, एवं प्रो. मनीष श्रीवास्तव, कुलसचिव गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर भी उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि साव ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने के लिए भारतीय विश्वविद्यालय संघ द्वारा किये जा रहे कार्य प्रशंसनीय हैं। शिक्षा व संस्कृति के क्षेत्र में संघ के योगदान से शिक्षा में एकरूपता व समानता आ रही है। उन्होंने कहा कि लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति ने हमारी मानसिकता को कमजोर किया है। अब हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप विश्वविद्यालयों में शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी। हम सभी जानते है कि भारत में विश्वगुरू बनने की क्षमता है। पिछले कुछ वर्षों में पूरी दुनिया में भारत का मान-सम्मान एवं स्वीकार्यता बढ़ी है। भारत को देखने का दुनिया का नजरिया बदला है। वह दिन दूर नहीं, जब भारत फिर से विश्व गुरू कहलाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आज विद्यार्थी तनावग्रस्त एवं अवसादग्रस्त हो रहे है। अनेक अप्रिय घटनाएं हो रही है। इसे रोकने की जरूरत है। इसका समाधान भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में हैं। उन्होंने छात्रों से आहृवान किया कि छात्र पढ़ाई को तनाव के रूप में न लें। छात्रों को कक्षा में आत्मविश्वास व ऊर्जा का माहौल मिले। छात्र को राष्ट्रभक्त एवं आत्मविश्वास से परिपूर्ण नागरिक बनाने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों की है।
स्वागत उद्बोधन में कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि साव का सहयोग हमेशा विश्वविद्यालय को मिलता है।  विश्वविद्यालय कुलपति संघ भारत ही नहीं, पूरे विश्व में अपनी गतिविधियों के लिए जाना जाता है। यूनिवर्सिटी न्यूज की सम्पादक डॉ. एस. रमा देवी पाणी ने दो दिवसीय कुलपति समागम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। डॉ. मित्तल, महासचिव ने गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की मेजबानी की प्रशंसा की। उन्होंने शोध एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने में विश्वविद्यालय की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि इसके लिए सात तरह के सहयोग की जरूरत है। शोध एवं नवाचार के लिए विश्वविद्यालयों को निवेश करना पड़ेगा। इसके लिए बजट में प्रावधान भी करना जरूरी है। शोध अनुदान के लिए सरकार पर पूरी तरह निर्भर न रहते हुए अन्य स्त्रोतों की संभावनाओं पर विचार करें।
भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष प्रो. जी.डी. शर्मा, अध्यक्ष ने  कहा कि भारत बदल रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप यहां की शिक्षा नीति भी बदल रही है। हमारा आत्मविश्वास विश्व में सबसे ऊपर रहा है। हम मानते रहे हैं कि जो कुछ हमारे पास है, वही श्रेष्ठ है। भारतीय ज्ञान परंपरा को अपनाते हुए अब नकारात्मकता को जड़ से खत्म कर सकारात्मक विचार लाने की आवश्यकता है। हमें विश्व गुरू बनने से कोई भी नहीं रोक सकता।
तत्पश्चात मंचस्थ अतिथियों को शॉल, श्रीफल से सम्मानित करते हुए स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। अंत में डॉ. आलोक मिश्रा, संयुक्त सचिव, भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गरिमा तिवारी, सहायक प्राध्यापक, वानिकी विभाग ने किया। कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं छात्र उपस्थित थे।

चार तकनीकी सत्रों में उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार पर चर्चा हुई

बिलासपुर। भारतीय विश्वविद्यालय संघ के सेंट्रल जोन के दो दिवसीय कुलपति सम्मेलन में उद्घाटन सत्र के अतिरिक्त चार सत्र हुए। इनमें शीर्षस्थ संस्थाओं के अधिकारियों से विमर्श सहित तीन अन्य सत्र का आयोजन हुआ।

18 जनवरी को विश्वविद्यालय संघ, एआईसीटीई, आईसीएआर एवं नैक के पदाधिकारियों ने विचार रखे। सत्र की अध्यक्षता भारतीय विश्वविद्यालय संघ के उपाध्यक्ष एवं सी एस जे एम यु, कानपुर के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने की। सत्र की सह-अध्यक्षता भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉ. पंकज मित्तल ने की।

सर्वप्रथम नैक, बंगलौर के निदेशक प्रो. गणेशन कन्नाबिरन ने नैक की संरचना, उद्देश्य, कार्य आदि के बारे में अवगत कराया। इसके बाद आईसीएआर के प्रतिनिधि के तौर पर एडीजी (एजुकेशन), आईसीएआर डॉ. सीमा जग्गी ने आईसीएआर के बारे में प्रकाश डाला। एआईसीटीई सलाहकार डॉ. आर. के. सोनी ने एआईसीटीई के द्वारा किए जा रहे कार्यों एवं गुणवत्तापूर्ण पहल के बारे में अवगत कराया। इसके बाद अधिकारियों ने सभागार में उपस्थित विद्वतजनों के विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिए। सत्र का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. पी.के. वाजपेयी ने किया। तत्पश्चात, ‘एआईयू बिजनेस सत्र’ का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष एवं यूटीएम, मेघालय के माननीय कुलपति प्रो.जी डी शर्मा एवं सह-अध्यक्षता भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉ. पंकज मित्तल ने की।

सत्र की शुरुआत करते हुए डॉ. पंकज मित्तल ने भारतीय विश्वविद्यालय संघ के इतिहास, संरचना, उद्देश्य, कार्यों, योजनाओं एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में की गई पहल के बारे में विस्तार से अवगत कराया। इसके बाद डॉ. पंकज मित्तल एवं प्रो. जी.डी. शर्मा ने कुलपतियों के प्रश्नों एवं जिज्ञासा का सविस्तार उत्तर एवं समाधान दिया।

इसके बाद ‘कोलाबरेटिव रिसर्च नेटवर्कसः फोस्टर इंटर डिसिप्लिनरी रिसर्च‘ विषय पर प्रथम तकनीकी सत्र का आयोजन हुआ। सत्र की अध्यक्षता अटल बिहारी विश्वविद्यालय, बिलासपुर के कुलपति प्रो.एडीएन वाजपेयी ने की। सत्र में उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद के कुलपति प्रो.डी. रविन्दर, इंदौर के कुलपति प्रो. पृथ्वी यादव और आईआईएम, इंदौर के निदेशक प्रो. भीमराव मैत्री ने देश के शीर्षस्थ शैक्षणिक संस्थानों के मध्य अनुसंधान के दृष्टिगत सहयोग,पार्टनरशिप,अनुसंधान के लिए फंड एकत्रित करने एवं इंटर डिसिपल्नरी एवं क्रास डिसिप्लनरी विषय पर प्रकाश डाला। सत्र का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रसेनजित पांडा ने किया।

वहीं, द्वितीय सत्र में इंटरप्रन्योरशिप एवं इनोवेशनः फ्राम आइडिया टू इम्पैक्ट’ विषय पर विभिन्न वक्ताओं इंटरप्रेन्योरशिप, इनोवेशन और स्टार्टअप के विषय पर प्रकाश डाला। सत्र की अध्यक्षता मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के निदेशक प्रो. रमा शंकर वर्मा ने की। सत्र को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर की कुलपति प्रो. रेणु जैन,राष्ट्र संत तुकाजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुभाष आर. चौधरी एवं वाक्सन विश्वविद्यालय, हैदराबाद के कुलपति प्रो. आरवीआर कृष्णा चलम ने संबोधित किया तथा अपने विचार एवं सुझाव रखे। सत्र का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अनुराग चौहान ने किया।

कुलपति सम्मेलन के दूसरे दिन 19 जनवरी को तृतीय सत्र ‘इनोवेटिव फंडिंग मॉडल ऑफ रिसर्च’ विषय पर आयोजित हुआ।  सत्र की अध्यक्षता डॉ. हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय सागर की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की। सत्र में जागरण लेक विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. पीके विश्वास और ब्रिटिश काउंसिल के राजेन्द्र त्रिपाठी ने वक्ता के तौर पर अपने विचार एवं सुझाव रखे तथा विभिन्न प्रश्नों के उत्तर और समाधान दिए। सत्र में वक्ताओं ने गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान के लिए फंड की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही विश्वविद्यालय एवं शैक्षणिक संस्थाएं कैसे कोष का सृजन कर सकती है, इस पर विस्तार से प्रकाश डाला और मार्गदर्शन दिया। सत्र का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो.आर.के. प्रधान ने किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here