बिलासपुर। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रामचन्द्र मेनन और जस्टिस पी.पी.साहू की खण्डपीठ ने आज केन्द्र सरकार को उस जनहित याचिका में दो सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है जिसमें राज्य में पैसेन्जर और लोकल ट्रेने जानबूझकर न चलाने और स्पेशल ट्रेनों में डेढ़ से दो गुना किराया वसूले जाने का आरोप लगाया गया है। यह जनहित याचिका अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने लगाई है और स्वयं इसकी पैरवी कर रहे हैं।

याचिका में कहा गया है कि कोरोना काल प्रारम्भ होने के साथ ही गत 24 मार्च को सभी प्रकार की यात्री गाडि़यों का संचालन रेल्वे बोर्ड के द्वारा रद्द कर दिया गया था। जून के बाद चरणबद्ध तरीके से कुछ यात्री गाडि़यां रेल्वे बोर्ड द्वारा प्रारंभ की गई हैं परंतु वे सभी ट्रेनें स्पेशल ट्रेनों के नाम पर चलाई जा रही हैं। इन सभी ट्रेनों के डिब्बे, टाइमिंग और स्टापेज आदि सब मूल एक्सप्रेस, मेल ट्रेनों के समान ही हैं। फिर भी इन्हें स्पेशल ट्रेन के नाम पर चलाकर डेढ़ से दोगुना किराया वसूला जा रहा है।

राजधानी जैसी ट्रेनों में खान-पान सुविधा का चार्ज अभी भी वसूला जा रहा है जबकि नाश्ता, भोजन आदि उपलब्ध नहीं है। अनाधिकृत वेंडर के द्वारा खाद्य सामाग्री बेची जा रही है जो स्वयं रेल्वे के कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लघंन है। याचिका में अधिक किराया वसूली के उदाहरण भी दिये गये हैं। लॉकडाउन के पहले राजधानी एक्सप्रेस में बिलासपुर से भोपाल एसी3 का किराया चाय नाश्ते के साथ 1350 रुपये था जो बिना चाय नाश्ते के अब 1869 रुपये है। छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में नागपुर से रायपुर एसी3 का किराया 450 रुपये से बढ़ाकर 999 रुपये कर दिया गया है। केरल एक्सप्रेस में ग्वालियर से भोपाल एससी3 का किराया 850 रुपये से 1017 रुपये कर दिया गया है।

इसी तरह छत्तीसगढ़ की पैसेंजर और लोकल ट्रेनें जो हर स्टेशन पर रूकती थीं, बंद रखी गई हैं जबकि इनको चलाने की मांग आम नागरिक कर रहे हैं।

याचिका में पश्चिम बंगाल और बिहार राज्य का उदाहरण दिया गया है जहां पैसेन्जर और लोकल ट्रेनों को चलाने की मंजूरी रेलवे बोर्ड द्वारा दे दी गई है। मुंबई में भी लोकल ट्रेनें काफी समय से चल रही हैं।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि रेलवे कोरोना के बहाने से किराया बढ़ाने के फिराक में है। वह कई यात्री ट्रेनों को बंद करके माल परिवहन को प्राथमिकता देना चाहता हैं, जो कि रेल्वे के सामाजिक दायित्व धारणा के विपरीत है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल आम आदमी के लिए सर्वाधिक सुलभ और सस्ता यातायात मुहैया कराता है और कोरोना काल में जब आम आदमी की आय घट गई है ऐसे में केन्द्र सरकार और रेल्वे बोर्ड मुनाफा कमाने के फेर में पड़ी हुई है।

इस जनहित याचिका पर गत 9 अक्टूबर को प्राथमिक नोटिस जारी की गई थी, परन्तु अभी तक इसका जवाब नहीं आया है। हाई कोर्ट ने इसे गंम्भीरता से लेते हुए दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने और फरवरी के प्रथम सप्ताह में सुनवाई रखने का आदेश दिया है।

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