याचिकाकर्ता के प्रकरण सहित 200 मामले सुनवाई के लिये दो वर्षों से लंबित

बिलासपुर। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य शासन को आदेश दिया है कि वह जिला उपभोक्ता फोरम बिलासपुर में शीघ्र ही सदस्य के रिक्त पद पर नियुक्ति करे ताकि लंबित मामलों की सुनवाई आगे बढ़ सके। कोर्ट में बताया गया कि सदस्य की नियुक्ति नहीं होने के कारण फोरम में 200 से अधिक मामले लंबित हैं।

याचिकाकर्ता नवीन चोपड़ा ने अधिवक्ता गगन गुप्ता और परमेश मिश्रा के माध्यम से याचिका दायर कर बताया कि नगर निगम के विरुद्ध उनका एक प्रकरण विगत दो वर्षों से जिला उपभोक्ता फोरम में लंबित है, जिस पर सुनवाई अध्यक्ष व सदस्यों का कोरम पूरा नहीं होने के कारण नहीं हो पा रही है। फोरम ने याचिकाकर्ता के पक्ष में 7 मार्च 2018 को एक आदेश पारित किया था जिसमें नगर निगम को आदेश दिया गया था कि याचिकाकर्ता को उन्हें आवंटित की गई भूमि शीघ्र प्रदान की जाये। यदि वह भूमि उपलब्ध नहीं है तो वैकल्पिक भूमि का चयन कर आवंटित किया जाये। इस आदेश के विरुद्ध नगर निगम ने राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील की पर वहां आदेश यथावत रखा गया। इसके बाद नगर निगम ने राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में स्थगन के लिये याचिका दायर की, जहां कोरोना काल के कारण प्रकरण की सुनवाई अब तक नहीं हो पाई। इधर नगर निगम ने बिलासपुर उपभोक्ता फोरम में भी स्थगन के लिये आवेदन लगाया। याचिकाकर्ता ने जिला उपभोक्ता फोरम से अपील की उक्त प्रकरण को शीघ्र निष्पादित किया जाये। जिला फोरम द्वारा कहा गया कि उक्त प्रकरण राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में लंबित है। याचिकाकर्ता ने कहा कि राष्ट्रीय फोरम से नगर निगम को कोई राहत या स्थगन प्राप्त नहीं हुआ है। तब जिला उपभोक्ता फोरम की ओर से बताया गया कि फोरम को निर्णय लेने के लिये एक सदस्य का और होना आवश्यक है जिसकी नियुक्ति अभी नहीं हुई है।

इससे क्षुब्ध होकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि चूंकि राष्ट्रीय फोरम से नगर-निगम को स्थगन नहीं मिला है इसलिये उनके प्रकरण का निष्पादन जिला फोरम द्वारा किया जाना चाहिये। पर सदस्य की नियुक्ति नहीं होने के कारण आदेश दो वर्षों से लंबित है।

नगर निगम की तरफ से अधिवक्ता संदीप दुबे ने कहा कि उपभोक्ता फोरम नियम 1987 के अनुसार यदि किसी एक सदस्य की नियुक्ति नहीं होती या अनुपस्थिति रहती है तब उस स्थिति में अध्यक्ष या सदस्य स्वयं ही सुनवाई कर सकते हैं लेकिन नये उपभोक्ता अधिनियम 2019 के अनुसार यदि अध्यक्ष या सदस्य की नियुक्ति किसी कारण से नहीं हो पाई है तब उस स्थिति में राज्य सरकार को शीघ्र नियुक्ति करना है। नियुक्ति की पश्चात ही प्रकरण में आगे सुनवाई हो पाएगी। प्रकरण की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि जिला उपभोक्ता फोरम में सदस्य की नियुक्ति के अभाव में प्रकरण को लंबित नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि जिला उपभोक्ता फोरम में उपभोक्ता फोरम अधिनियम 2019 के अनुसार नए सदस्य की शीघ्र नियुक्ति की जाए।

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