रायपुर। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा है कि परसा और केटे एक्सटेंशन के लिए दी गई अनुमति को उचित प्रक्रिया से आगे बढ़ाकर रद्द किया जाना चाहिए।

सिंहदेव ने कहा है कि मैं प्रदेश में खनन और हसदेव अरण्य के बारे में लोगों की भावनाओं को समझने के लिए सरकार को धन्यवाद देता हूं। मैं इस कदम का स्वागत करता हूं क्योंकि इसमें जनता की इच्छा को सर्वोच्चता दी गई है, जो हमेशा से मेरी प्राथमिकता है।

सिंहदेव ने राज्य सरकार के वन विभाग को 14 अक्टूबर को पत्र लिखा था जिसमें कहा था कि परसा और केते एक्सटेंशन के प्रस्तावित कोयला खदान से प्रभावित ग्रामीणों ने उन्हें आश्वस्त किया है कि पूर्व की सहमति वाले 46 हेक्टेयर क्षेत्र में उन्हें आपत्ति नहीं है, बशर्तें  परसा और केते एक्सटेंशन के फारेस्ट क्लीयरेंस के लिए जनसुनवाई की कार्रवाई को वापस ले ली जाए। पीकेईबी खदान में मूल रूप से काम चलने पर उन्हें आपत्ति नहीं है। 90 प्रतिशत प्रभावित गांवों के नागरिक पेड़ों की कटाई व नई खदान के विरोध में हैं। विधानसभा में इस संबंध में निर्णय हो चुका है।

उल्लेखनीय है कि बीते 31 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के वन विभाग ने भारत सरकार के वन मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि हसदेव अरण्य कोल फील्ड में व्यापक जन विरोध के कारण कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो गई है। लोकहित में परसा खुली खदान परियोजना के लिए जारी वन भूमि डायवर्सन स्वीकृति को रद्द करने की कार्रवाई की जाए।

हसदेव के आंदोलनकारियों ने राज्य सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा था कि केंद्र के अलावा राज्य सरकार खुद भी अंतिम वन स्वीकृति रद्द कर नई खदानों को खुलने से रोक सकती है। यह राज्य सरकार के अधिकार में है। पहले भी बस्तर के नंदराज पहाड़ की वन स्वीकृति वापस लेने का आदेश सरकार ले चुकी है।

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