अटल बिहारी विश्वविद्यालय के वर्चुअल सेमिनार में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा

बिलासपुर । अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित वर्चुअल व्याख्यान ‘छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं का नियोजन एवं प्राथमिकताएं’ विषय पर मुख्य अतिथि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा कि सरकार सबके लिए यूनिवर्सल स्वास्थ्य सेवा के लक्ष्य को हासिल करना चाहती है और खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना इसी दिशा में उठाया गया कदम है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में हमने स्वास्थ्य सेवाओं को एक पिरामिड की तरह बनाया है। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी के समय आशा वर्कर अथवा मितानिन का जो कंसेप्ट शुरू किया गया था, उसके पीछे प्रारंभ में उद्देश्य गांव में संस्थागत प्रसव जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराना था ताकि शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में कमी आ सके लेकिन अब इनके पास मितानिन पेटी होती है जिसमें विभिन्न बीमारियों की दवाइयां और जांच किट होते हैं। इस व्यवस्था को पूरे देश में लागू किया जा चुका है। स्वास्थ्य सेवा की शुरुआत यहीं से होती है जो मेडिकल कॉलेज के चिकित्सालयों तक पहुंचती है।

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ 1948 से सबके लिये स्वास्थ्य का संकल्प ले चुकी है लेकिन इस पर दुनिया के सिर्फ 6-7 देशों में अमल हो पाया है। छत्तीसगढ़ की बड़ी आबादी में पहले केन्द्र की आयुष्मान योजना, मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना, संजीवनी आदि अलग-अलग योजनायें थीं, अब इन सबको जोड़कर खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना लागू की गई है। इसमें अंत्योदय व बीपीएल परिवारों को 5 लाख तक, गंभीर बीमारियों के लिये 20 लाख तक तथा एपीएल परिवारों को 50 हजार रुपये की सहायता है। इसके अलावा मुख्यमंत्री को भी विशेष अनुदान का अधिकार है। सरकार चाहती है कि बीपीएल और एपीएल में स्वास्थ्य सहायता की असमानता दूर हो पर इसमें समय लग सकता है।

उन्होंने माना कि कोविड वैक्सीनेशन को लेकर के न केवल गांव बल्कि शहर के लोगों में भी शुरू से भ्रांतियां रही हैं। यहां तक कि जो फ्रंट लाइन वर्कर थे, वे भी शुरू में जब वैक्सीन आई तो लगवाने से झिझक रहे थे। पर अब धीरे-धीरे झिझक दूर हो रही हैं। कोरोना से बचने का वर्तमान में एक ही रास्ता है कि वैक्सीनेशन कराएं। बुद्धिजीवी वर्ग, छात्र, प्रोफेसर और जनप्रतिनिधियों को जागरूकता के लिए आगे आना होगा।

वर्चुअल वेबिनार में उपस्थित तखतपुर क्षेत्र के विधायक और संसदीय सचिव रश्मि सिंह ने कहा कि अभी महामारी टली नहीं है। इसके लिए अलग से विभाग बनाया जाना चाहिए, जिससे जनता को समुचित इलाज मिल सके। कई लोग मानसिक दबाव में और वैक्सीन लगाने के बाद भी होने वाले बुखार पर कोरोना टेस्ट करवा रहे हैं, इसे भी रोका जा सकेगा। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एडीएन बाजपेई ने स्वास्थ्य मंत्री को विश्वविद्यालय में प्रस्तावित इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की स्थापना की जानकारी दी और इसमें मदद करने का आग्रह किया, जिससे कोरोना वायरस पर शोध को बढ़ावा दिया जा सके। डॉ. एसएल निराला ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया। डा एच एस होता ने अतिथियों का स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन सौमित्र तिवारी तिवारी द्वारा दिया गया।

विश्वविद्यालय का यह 12वां वर्चुअल वेबीनार था। इनमें कोरोना महामारी से जुड़े विभिन्न विषयों पर देश के ख्यातिलब्ध विशेषज्ञों को इनमें आमंत्रित किया जा चुका है।

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