बिलासपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर बिलासपुर में थल सेना की लंबित छावनी की शीघ अतिशीघ्र स्थापना करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने लिखा है कि राज्य ने लगभग 1000 एकड़ भूमि रक्षा मंत्रालय को बिलासपुर में थल सेना छावनी की स्थापना के लिए आबंटित की हुई है। पर इसमें थल सेना छावनी की स्थापना की प्रक्रिया लंबित है।

आरंभ में थल सेना छावनी की स्थापना के लिए इसके साथ हवाई पट्टी की आवश्यकता बताई गई थी। राज्य सरकार ने इस हवाई पट्टी का विस्तार करा लिया है। बिलासाबाई केवटींन हवाईअड्डा बिलासपुर अब डीजीसीए द्वारा 3सी वीएफआर कैटगरी में मान्यता प्राप्त है। अब ये हवाई पट्टी सिविल एविएशन एवं थल सेना की विमानन संबंधित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये उपलब्ध है।

मुख्यमंत्री ने लिखा है कि आगामी एक मार्च से बिलासपुर से व्यवसायिक यात्री सेवाएं आरंभ हो रही है। राज्य सरकार चकरभाठा, बिलासपुर में थल सेना छावनी की स्थापना के लिए उत्सुक है। राज्य में आर्मी छावनी की स्थापना से न केवल इस इलाके के समुचित विकास में गति आएगी बल्कि थल सेना सेवा के अवसर राज्य के युवाओं को सहजता से उपलब्ध भी होंगे। थल सेना छावनी की राज्य में उपस्थिति मूलतः नक्सलवादी उग्रवाद के उन्मूलन की दिशा में सहायक होने की भी आशा है।

बघेल ने कहा कि थल सेना छावनी की स्थापना से राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार को होने वाले लाभों के दृष्टिगत, राज्य सरकार रक्षा मंत्रालय से इसकी स्थापना शीघ्रातिशीघ्र होनी चाहिए। इस दिशा में राज्य सरकार रक्षा मंत्रालय एवं थल सेना की अन्य संबंधित आवश्यकताओं पर भी विचार करने के लिए तैयार है। इस संदर्भ में रक्षा मंत्रालय के साथ कार्य करने के लिए राज्य सरकार तत्पर है।

हवाईअड्डे के विस्तार के लिये जमीन लेनी होगी

ज्ञात हो कि बिलासपुर में नागरिकों की ओर से 4सी कैटेगरी विमानों के उतरने के लिये चकरभाठा हवाईअड्डे का विस्तार करने की मांग की जा रही है। इसके लिये सेना को दी गई जमीन में से 100 एकड़ जमीन को वापस लेने का सुझाव भी दिया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा रक्षा मंत्रालय को लिखे गये पत्र के बाद सेना अपनी एक हजार एकड़ जमीन पर कार्य शुरू करती है तो इसी में से 100 एकड़ जमीन को चकरभाठा हवाईअड्डे के लिये भी वापस किया जा सकता है।

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