बिलासपुर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के मुख्य आतिथ्य वाले दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय ने प्रोटोकॉल की अवहेलना की। उच्च शिक्षा मंत्री और दूसरे निर्वाचित जनप्रतिनिधि दूसरी तीसरी पंक्तियों में बैठे थे, जबकि भाजपा के नेता पहली कतार में बिठाये गये थे।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अभय नारायण राय ने यह आरोप लगाया है। राय ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के आतिथ्य में आयोजित गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को राजनीति से परे गरिमापूर्ण तरीके से आयोजित किया जाना था लेकिन विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इसमें राजनीति करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पहली पंक्ति में सांसद अरुण साव को जगह दी गई, जिस पर हमें कोई आपत्ति नहीं लेकिन उनके साथ पूर्व व पराजित नेता अमर अग्रवाल, हर्षिता पांडेय और भाजपा के कुछ अन्य नेताओं को भी पहली पंक्ति में ही नाम लिखकर कुर्सी तय कर दी गई। दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल, बिलासपुर के प्रथम नागरिक महापौर रामशरण यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष अरूण सिंह चौहान जैसे निर्वाचित और संवैधानिक पद रखने वालों को इनके पीछे तीसरी पंक्ति में जगह दी गई। इससे भी बड़ी विडम्बना यह थी कि गरिमामय और प्रोटोकॉल के अनुसार शीर्ष स्थान रखने वाले रविशंकर विश्वविद्यालय, बिलासपुर विश्वविद्यालय और सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय के कुलपतियों को चौथी पंक्ति में स्थान दिया गया।

राय ने कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की स्थापना और तत्पश्चात केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना में शहर के प्रबुद्ध जनों, जनप्रतिनिधियों और छात्र नेताओं ने बड़ा संघर्ष किया है। केन्द्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन ने इनको निमंत्रण देना तक मुनासिब नहीं समझा।

राय ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगवानी में गये कांग्रेस के नेताओं को भी प्रवेश करने से रोका गया, जिस पर सीधे मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा, तब भीतर जाने दिया गया।

प्रदेश प्रवक्ता राय ने कहा कि शहर में हवाई सेवा के लिए जन संघर्ष समिति बीते 130 दिनों से आंदोलन कर रहा है, पर इस आंदोलन से जुड़े लोगों को ज्ञापन देने के लिए भी राष्ट्रपति से मिलने नहीं दिया गया और गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि भाजपा के नेताओं ने आसानी से अपना समय आरक्षित करा लिया।

राष्ट्रपति के आगमन को लेकर पूरे शहर में हर्ष था, हर वर्ग, जाति-धर्म, सामाजिक संगठनों के लोग, शिक्षाविद्, लेखक, पत्रकार, उनसे मिलने के लिए उत्सुक थे। राष्ट्रपति ने बिलासपुर में रात्रि विश्राम किया। यह अवसर उनके प्रोटोकॉल की ओर से दिया जा सकता था पर सभी को निराशा हुई।

 

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