जनप्रतिनिधियों के अधिकारों के हनन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी

बिलासपुर। रायपुर, बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की भूमिका को दरकिनार करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दोनों कंपनियों की अपील पर उनको बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने बिलासपुर में प्रस्तावित 503 करोड़ रुपये के 54 निर्माण कार्यों तथा रायपुर में 177 करोड़ रुपये के 27 नये निर्माण कार्यों को शुरू करने की मंजूरी दे दी है।

होईकोर्ट में जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच में अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव के माध्यम से दायर विनय दुबे की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। कोर्ट में रायपुर और बिलासपुर स्मार्ट सिटी कंपनियों की ओर से आवेदन लगाकर कहा गया था कि यदि उन्हें 31 मार्च तक निर्माण कार्य शुरू करने की अनुमति नहीं मिली  तो करोड़ो रुपये के निर्माण कार्य बाधित हो जाएंगे और राशि लैप्स हो जाएगी। कोर्ट के आदेश पर दोनों कंपनियों की ओर बताया गया कि वे कौन से निर्माण कार्य हैं, जिन पर 14 मार्च तक की स्थिति में टेंडर फाइनल हो चुका है और वर्क ऑर्डर जारी किया जाना है। इस सूची के हिसाब से दोनों स्मार्ट सिटी के लिये कुल 578 करोड़ रुपये के निर्माण कार्यों की अनुमति दे दी गई है।

याचिकाकर्ताओं ने भी अपनी आपत्ति कोर्ट के सामने प्रस्तुत की। इसमें कहा गया कि कार्य स्वीकृति की प्रक्रिया में गड़बड़ी हो सकती है। प्रक्रिया के अनुसार बैंक गारंटी, परफार्मेंस रिपोर्ट व अन्य दस्तावेज जमा कराने की प्रक्रिया वर्क ऑर्डर जारी करने के पहले पूरी करानी चाहिए। कोर्ट ने इसे संज्ञान लेते हुए कंपनियों को इस संबंध में नियमों का पालन करने के लिये कहा है।

ज्ञात हो कि जनहित याचिका में कहा गया है कि स्मार्ट सिटी कंपनी रायपुर व बिलासपुर में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का अधिग्रहित कर लिए गए हैं। इन कार्यों की स्वीकृति और निगरानी में चुने हुए प्रतिनिधियों की कोई भूमिका नहीं है जो जनता के प्रतिनिधियों को मिले संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

इस बीच स्मार्ट सिटी कंपनियों की ओर से हाईकोर्ट में निर्माण कार्यों को जारी रखने व नये कार्यों का वर्क ऑर्डर जारी करने के लिये आवेदन लगाए गए थे।

 

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