संविधान दिवस पर विधिक सेवा प्राधिकरण व अटल बिहारी विवि का कार्यक्रम

बिलासपुर। संविधान दिवस पर छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधावन में आयोजित परिचर्चा में अध्यक्षता करते हुए कुलपति अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने कहा कि संविधान दिवस पर हम नागरिकों के अधिकारों की बात करते हैं पर इसमें हमारे कर्तव्यों का भी उल्लेख है। हमें इसका ध्यान रखना चाहिए। साथ ही हमें प्रकृति एवं अन्य जीवों के अधिकारों को भी नहीं भूलना चाहिए।

मुख्य अतिथि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव आनंद प्रकाश वारियाल ने कहा कि 26 नवंबर को हम विधि दिवस के रूप में पहले मनाते रहे हैं। वर्ष 2015 से यह संविधान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, जिसका मूल उद्देश्य नागरिकों को संविधान के महत्व के बारे में शिक्षित करना तथा उसके कर्तव्यों की जानकारी देना है। संविधान सभी को व्यक्तिगत जीवन की सुरक्षा की गारंटी देता है। संविधान में मौलिक अधिकार जैसे स्वतंत्रता, समता, शोषण के विरुद्ध अधिकार हैं। धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति एवं शैक्षणिक अधिकार उपलब्ध है। हमारे देश में न्याय शास्त्र का अनूठा सिद्धांत है कि 100 अपराधियों को भले ही आजाद होने दें लेकिन एक बेगुनाह को सजा न दें। परंतु, ऐसा कह कर कोई व्यक्ति नहीं बच सकता कि उसे कानून का ज्ञान नहीं था। देश के प्रत्येक नागरिक से यह अपेक्षा की जाती है कि उसे देश के कानून और संविधान के बारे में जानकारी हो। वारियाल ने कहा कि इस में उपस्थित विधि छात्रों के अलावा अन्य छात्रों को भी संविधान और कानून की जानकारी लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने यू ट्यूब चैनल जनचेतना में इस बारे में कई फिल्में अपलोड की है। विद्यार्थियों से उन्होंने इन्हें देखने के लिए कहा।

कार्यक्रम की मुख्य वक्ता प्राधिकरण की अवर सचिव कामिनी जायसवाल ने कहा कि हमारा संविधान दुनिया का सबसे लंबा संविधान है। इसे 284 सदस्यों ने 2 वर्ष 11 माह और 17 दिन के कठोर परिश्रम के बाद तैयार किया है। हमारे लोकतंत्र के लिए यह सर्वश्रेष्ठ कृति है। हमारा संविधान स्वतंत्र और न्याय संगत समाज की स्थापना कर सकने में सक्षम है। हमारे संविधान निर्माताओं को यह स्पष्ट हो गया था कि आने वाली पीढ़ी को कुछ नई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, इसीलिए संविधान में संशोधन का भी प्रावधान किया गया है। जायसवाल ने अपने उद्बोधन में 2012 में लागू किए गए पॉक्सो एक्ट के बारे में भी विस्तार से चर्चा की।

कार्यक्रम के प्रारंभ में संविधान की उद्देशिका का वाचन किया गया। स्वागत भाषण संयोजक हर्ष पांडे ने दिया। कुलसचिव शैलेंद्र दुबे ने आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में विधिक सहायता अधिकारी शशांक शेखर दुबे, विश्वविद्यालय के अधिकारी-कर्मचारी और विभिन्न संकायों के छात्र-छात्रा उपस्थित थे।

 

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