पुलिस, प्रशासन रसूखदारों के दबाव में, सबूतों के बाद भी न एफआईआर लिखी गई न ही असरदार जांच हो रही, विरोध में रविवार को कैंडल मार्च

बिलासपुर । शहर की पॉश कॉलोनी रामा वैली में दो दर्जन कुत्तों को क्रूरता पूर्वक बांधकर पीटा गया और उन्हें बंधे हुए घायल हालत में ट्रैक्टर पर लादकर अज्ञात स्थान की ओर ले जाकर फेंक दिया गया। शहर के पशु प्रेमियों में इस घटना को लेकर जबरदस्त रोष है। जिला प्रशासन और पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को सबूतों के साथ घटना की जानकारी देने पर एक जांच कमेटी बनाई है जिसकी कार्रवाई का कुछ पता नहीं। पुलिस ने तो रिपोर्ट दर्ज करने से ही साफ मना कर दिया।
यह जानकारी दी गई है कि यह तस्वीर रामा वैली में पकड़े गये कुत्तों की है।

शहर में पशु प्रेमियों का एक संगठन एनिमल प्रोटेक्शन सोसायटी है जो घायल, बीमार कुत्तों और गायों को अपने शेल्टर में लाकर इलाज करता है। पशु चिकित्सालय, जूना बिलासपुर के पीछे इनके दो शेड बने हुए हैं, जहां स्वयंसेवक युवा दिनभर पशुओं की देखभाल, मरहम पट्टी का काम करते हैं।

रामा वैली में सड़क पर बिखरा हुआ खून।

पशु सेवा केन्द्र की सपना क्षत्री, डॉ. रश्मि बुधिया, रोहित बाजपेयी, प्रथमेश मिश्रा, विपुल शर्मा और निधि तिवारी ने आज बिलासपुर प्रेस क्लब में बताया कि इस घटना की जानकारी मिलने पर वे कॉलोनी में गये। वहां कुछ लोगों ने घटना के फोटोग्रॉफ और वीडियो भी तैयार किये गये थे,जो उन्हें हासिल हो गये। चूंकि इस कॉलोनी में रहने वाले प्रभावशाली लोग हैं इसलिए इस घटना का जो लोग विरोध कर रहे हैं वे भी खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। जानकारी मिली कि सूअर पकड़कर मारने वाले पेशेवर लोगों को इस काम में मोहल्ले के ही प्रतिष्ठित लोगों ने लगाया था। इन कुत्तों को रॉड और लाठियों से पीटकर काबू में किया गया और बांधकर ट्रैक्टर ट्राली में फेंका गया। कुत्तों को अज्ञात स्थान पर ले जाकर छोड़ दिया गया। कुत्तों को जिस हालत में ले जाया गया उससे आशंका है कि इनमें से कई की मौत भी हो गई होगी।

पशु सेवा केन्द्र के सदस्य चकरभाठा थाने गये और उन्होंने आईपीसी की धारा 428 और 429 के तहत अपराध दर्ज करने की मांग की लेकिन उनकी एफआईआर नहीं लिखी गई। उनसे लिखित शिकायत लेकर पावती दे दी गई है।

पशु सेवा केन्द्र की सपना क्षत्री का कहना है कि घटना के फोटो और वीडियो आते ही उन्होंने कलेक्टर और पशु चिकित्सा विभाग के संयुक्त संचालक से कार्रवाई की मांग की। कलेक्टर ने एक कमेटी से जांच कराने की बात कही, शायद कमेटी गठित कर दी गई है पर हम से किसी ने अब तक कोई पूछताछ नहीं की है। हर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में पशुओं से क्रूरतापूर्ण बर्ताव रोकने के लिए समिति बनी है लेकिन अब तक इस सोसायटी ने भी घटना का संज्ञान नहीं लिया है।

रामा वैली के प्रमुख लोगों से जब टीम ने जानकारी मांगी तो उन्होंने कुत्तों को पकड़कर छोड़ना तो स्वीकार किया लेकिन उनके साथ क्रूरतापूर्ण बर्ताव या मार डालने की घटना से इनकार किया। टीम की सपना क्षत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का सन् 2001 का फैसला और बाद में एनिमल वेलफेयर बोर्ड का निर्देश कहता है कि किसी भी पशु को उनकी जगह से नहीं हटाया जा सकता। उनका बंध्याकरण आवश्यक होने पर किया जा सकता है लेकिन बंध्याकरण के बाद उन्हें उसी जगह पर फिर लाकर छोड़ना है। यदि हटाने का काम भी किया गया है तो यह अपराध है। कुत्तों को पकड़ने का काम भी प्रशिक्षित काउ या डॉग केचर ही करेंगे। हालांकि बात सिर्फ इतनी नहीं है। कुत्तों के साथ निर्ममता बरती गई है और इनमें से अनेक की मौत हो जाने की आशंका है क्योंकि हो सकता है उनकी रस्सियां नहीं खोली गई और वे घायल भी थे।

कार्रवाई की मांग के लिए टीम के सदस्यों ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से फिर मुलाकात करने का निर्णय लिया है। कल इस घटना के विरोध में शाम पांच बजे पशु चिकित्सालय, सिटी कोतवाली चौराहे के पास से नेहरू चौक तक कैंडल मार्च भी निकाला जायेगा।

बच्चों पर हुआ घटना का बुरा असर, आईपीएस का बेटा अड़ा  

कॉलोनी के कुछ लोगों ने हिम्मत जुटाकर इस क्रूरता के खिलाफ आवाज भी उठाई, जिन्हें धमकाया जा रहा है। एक आईपीएस अधिकारी के 18 साल के नवयुवक ने इस मामले में चुप नहीं रहने का फैसला लिया है और अपने परिवार वालों से मिली हिदायत के बावजूद उसने चकरभाठा थाने में घटना की लिखित शिकायत कर दी है। परिवार वालों के दबाव के बावजूद उसने चकरभाठा थाने में की गई अपनी शिकायत को वापस लेने से इंकार कर दिया है। प्रेस कांफ्रेंस में पहुंचे रोहित बाजपेयी और डॉ. रश्मि बुधिया ने बताया कि वहां रहने वाले कई बच्चों में इस क्रूरता का बुरा असर पड़ा है क्योंकि वे प्रायः पशुओं से प्रेम करते हैं। वे डरे हुए हैं लेकिन घटना के बारे में बता रहे हैं। टीम की एक सदस्य निधि तिवारी ने बताया कि जब वह इस घटना की जानकारी लेने गई तो वहां उसकी नई स्कूटर पर तोड़फोड़ की गई। बाजपेयी ने कहा कि आखिर वहां इतने कुत्ते जीवित थे तो इसका मतलब यह है कि वहां लोग उनका खयाल रखते थे और उनके लिए भोजन की व्यवस्था करते थे। कुत्तों का इस समय प्रजनन काल है, जिसके चलते वे रोते हैं आशंका यही है कि इसी अंधविश्वास में इन कुत्तों के साथ क्रूरता बरती गई।

बिल्डर प्रकाश ग्वालानी का पक्ष

इस घटना में बिल्डर एवं डेवलेपर्स प्रकाश ग्वालानी का नाम सामने आ रहा है। पशु सेवकों का कहना है कि उनके कहने पर ही कुत्तों के साथ बेरहमी बरती गई। ग्वालानी से इस बारे में www.bilaspurlive.com  ने बात की तो उन्होंने कहा कि उनके पास सपना क्षत्री का फोन आया था, वह मुझे पहचानती है पर मैं नहीं पहचान पाया। हो सकता है उनका इरादा कुछ सहयोग राशि लेने का रहा होगा। हम पशुओं के साथ क्रूरता क्यों बरतेंगे? मार डालने की अफवाह भी बेवजह फैलाई जा रही है। दर्जन भर सामाजिक संगठनों में मैं काम कर रहा हूं, अनेक में प्रमुख पदों पर हूं। ऐसी गैर जिम्मेदारी का बर्ताव हम और हमारी कॉलोनी के लोग नहीं कर सकते। कुत्तों की बढ़ती संख्या से कॉलोनी के लोग त्रस्त थे। पिछले तीन-चार साल से नगर पंचायत बोदरी में इसकी शिकायत की जा रही थी। इसके बावजूद अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। कुत्तों को कॉलोनी से बाहर करने के लिए पकड़ना जरूरी था, इससे कोई कुत्ता घायल नहीं हुआ है न किसी की मौत हुई है, उन्हें 10-12 किलोमीटर दूर कहीं पर छोड़ा गया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here