बिलासपुर। महाधिवक्ता कार्यालय के चार साल के ऐसे दस्तावेज जिनका डिजिलाइजेशन हो चुका है आज कबाड़ में बेच दिये गये।

महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद से ही दस्तावेज़ों के डिज़िटलाईजेशन को अपनी प्राथमिकता में रखा है। इस कड़ी में कई कदम उठाये जा चुके हैं। सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की स्कैनिंग, शासन के विरुद्ध केस सुनवाई में आने के पूर्व ही सबंधित विभाग को संपूर्ण प्रकरण का ई-मेल से तत्काल भेजना, सभी शासकीय विधि अधिकारियों के कक्ष में इंटरनेट की व्यवस्था आदि शामिल हैं। इसी कड़ी में आज महाधिवक्ता कार्यालय में सन् 2015 व 2016 की निराकृत रिट याचिकायें तथा सन् 2017 व 2018 की निराकृत आपराधिक याचिकाओं को अलग कर पेपर रि-साइक्लिंग के लिये बेच दिया गया। इन सभी डिस्पोज़्ड पिटिशन के आवश्यक दस्तावेज़ों की स्कैनिंग कर ली गई है। इन निराकृत फाईलों की संख्या हज़ारों में है। भविष्य में इनकी उपलब्धता माउस के एक क्लिक पर हो पाएगी। साथ ही महाधिवक्ता कार्यालय में पर्याप्त जगह बनेगी, अनावश्यक पेपर्स के बेच देने से कार्यालय को राजस्व मिला, साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक कदम रहा। कुछ महीने पहले भी इसी तरह से डिजिटलाइज किये गये दस्तावेजों को कबाड़ में बेच दिया गया था।

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