बिलासपुर। कोरोना संकट के कारण जारी लॉकडाउन ने बहुत से लोगों के रोजगार और मजदूरी पर विपरीत असर डाला है तो दूसरी तरफ आदिवासियों की आजीविका के प्रमुख स्त्रोत वनोपज संग्रह का काम इससे बेअसर है। जिले के आदिवासियों को इस दौरान अच्छी खासी आमदनी हुई है।

बिलासपुर जिले में लॉकडाउन के बावजूद लघु वनोपज संग्राहकों को आय की समस्या नहीं है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए वनों में संग्राहक लघु वनोपज का संग्रहण कर रहे हैं। अब तक 959 संग्राहकों द्वारा 10 लाख 15 हजार से अधिक मूल्य के 429 क्विंटल लघु वनोपज का संग्रहण किया जा चुका है।

जिला वनोपज सहकारी यूनियन के प्रबंध संचालक ने बताया कि जिले में इस सीजन में  नौ हजार 959 क्विंटल अराष्ट्रीयकृत लघु वनोपज संग्रहण का लक्ष्य रखा गया है। इसके मुकाबले अब तक 429 क्विंटल का संग्रहण किया जा चुका है। जिले में 23 प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियां हैं। इनमें 10 समितियां चरौटा, हर्रा, बहेरा, नागरमोथा, शहद, रंगीन लाख, महुआ फूल, महुआ बीज, साल बीज, चिंरौंजी गुठली, बेल गुदा और इमली का संग्रहण कर समर्थन मूल्य पर विक्रय करती हैं। इन लघु वनोपजों का अब तक 934 संग्राहकों द्वारा 418 क्विंटल वनोपज बेचा जा चुका है।

समर्थन मूल्य के अतिरिक्त संघ द्वारा निर्धारित दर पर माहुल पत्ता, तिखुर, वन तुलसी वनोपज का भी संग्रहण कर बेचा जा रहा है। अब तक 25 संग्राहकों ने इन वनोपजों का 10 क्विंटल विक्रय किया है। संग्राहकों को समितियों द्वारा उनके खाते में तीन लाख 24 हजार रुपये, स्व-सहायता समूह के माध्यम से 3 लाख 29 हजार रुपये तथा धनादेश के माध्यम से एक लाख 7 हजार रुपये, इस तरह कुल 7 लाख 60 हजार रूपये से अधिक का भुगतान कर दिया गया है। शेष भुगतान के लिये प्रक्रिया जारी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here