बिलासपुर। हवाई सेवा संघर्ष समिति ने आज अपने अखंड धरना आंदोलन के 200 दिन पूरे होने पर रायपुर में राज्यपाल अनुसुईया उइके को ज्ञापन सौंपा। राज्यपाल ने बिलासपुर से अब तक हवाई सेवा शुरू नहीं होने पर आश्चर्य और अफसोस जताया और कहा कि यह बहुत पहले शुरू हो जाना चाहिये था। उन्होंने कहा है कि इस सम्बन्ध में वे न केवल नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी से बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी आग्रह करेंगी।

उइके ने प्रतिनिधि मंडल से कहा कि बिलासपुर छत्तीसगढ़ के केन्द्र में स्थित शहर है और यह मध्यप्रदेश सहित अन्य सीमावर्ती राज्यों को जोड़ने के लिये सुविधाजनक हवाई मार्ग है। अमरकंटक के लिये यह सबसे आसान हवाई यात्रा है। यहां अब तक हवाई सेवा शुरू हो जाना चाहिये था। प्रतिनिधिमंडल के इस तर्क से राज्यपाल ने सहमति जताई कि अन्य आदिवासी बाहुल्य राज्यों की तरह 2000 किलोमीटर की दूरी तक की हवाई उड़ानों में छत्तीसगढ़ को भी छूट मिलनी चाहिये ताकि बिलासपुर को भी महानगरों के लिये हवाई सेवा मिल सके।

प्रतिनिधियों की ओर से सुदीप श्रीवास्तव ने राज्यपाल को बताया कि वर्तमान में बिलासपुर एयरपोर्ट का रनवे 1500 मीटर है, परन्तु बोईंग तथा एयरबस के लिये 2300 मीटर का रनवे चाहिए। इसके लिए भारतीय सेना द्वारा अधिग्रहित की गई भूमि में से बिलासपुर एयरपोर्ट रनवे विस्तार हेतु भूमि केन्द्र सरकार को दी जा सकती है और इसके बदले सेना को अन्य भूमि दी जा सकती है। इसी तरह बिलासपुर से वर्तमान में भोपाल तक एक उड़ान स्वीकृत की गई है पर क्षेत्र के लोगों की मांग बिलासपुर से दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, हैदराबाद, पुणे, बैंगलोर तक सीधी हवाई सुविधा की है। यह सभी महानगर बिलासपुर से 600 किलोमीटर से अधिक दूरी पर है और उड़ान 4.0 योजना के तहत वी.जी.एफ. सब्सिडी इस वर्ष 600 कि.मी. से कम दूरी की उड़ानों के लिए ही स्वीकृत की जा रही है। जबकि उड़ान 1.0, उड़ान 2.0, उड़ान 3.0 योजना में यह सब्सिडी 2000 कि.मी. तक की उड़ानों हेतु दी गई थी। वर्तमान में भी उत्तर पूर्वी आदिवासी राज्यों के लिए यह बाध्यता नहीं है। प्रतिनिधिमण्डल में महेश दुबे, सुशांत शुक्ला, देवेन्द्र सिंह ठाकुर, मनोज श्रीवास एवं अशोक भण्डारी शामिल थे।

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