नई दिल्ली। गुरुवार को वस्तु एवं सेवा कर (GST) काउंसिल की 41वीं बैठक होने जा रही है। इस बैठक को लेकर उम्मीद जताई जा रही कि राज्यों को मुआवजा देने को लेकर गर्मागर्म बहस हो सकती है। बता दें कि इस बार बैठक में जो मुद्दा सबसे प्रमुख तरीके से छाया रहेगा वो ये कि, आखिर कोरोना संकट में आर्थिक तंगी से जूझ रहे राज्यों को जीएसटी का मुआवजा कैसे दिया जाए?जीएसटी काउंसिल के सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में राज्यों को मुआवजा देने के लिए फंड जुटाने के कई प्रस्तावों पर विचार हो सकता है। राज्यों को मई, जून, जुलाई और अगस्त यानी चार महीने का मुआवजा नहीं मिला है। सरकार ने हाल में वित्त मामलों की स्थायी समिति को बताया है कि उसके पास राज्यों को मुआवजा देने के लिए पैसे नहीं हैं।गौरतलब है कि नियम के मुताबिक जीएसटी कलेक्शन का करीब 14 फीसदी हिस्सा राज्यों को देना जरूरी है. जीएसटी को जुलाई 2017 में लागू किया गया था। जीएसटी कानून के तहत राज्यों को इस बात की पूरी गारंटी दी गई थी कि पहले पांच साल तक उन्हें होने वाले किसी भी राजस्व के नुकसान की भरपाई की जाएगी। यानी राज्यों को जुलाई 2022 तक किसी भी तरह के राजस्व नुकसान के लिए मुआवजा दिया जाएगा। तब तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि राज्यों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाएग। लेकिन अब यह केंद्र और राज्यों के बीच बड़े विवाद का मसला बनता जा रहा है।बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब, राजस्थान जैसे राज्य जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस बात को जोर-शोर से उठा सकते हैं। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने तो केंद्रीय वित्त मंत्री को लेटर लिखकर इस बारे में मांग भी कर दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों को दिये गये वचन का सम्मान करे। झारखंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पुडुचेरी जैसे राज्य भी इसी तरह की मांग कर चुके हैं।वहीं विपक्षी दल भी राज्यों के साथ खड़े दिख रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई जिसमें जीएसटी मुआवजे पर चर्चा की गई। सोनिया गांधी ने मुआवजा न देने को राज्यों के साथ धोखा बताया। गौरतलब है कि इस वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के बीच केंद्र सरकार ने राज्यों को करीब 1,15,096 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है. इसके बाद दिसंबर से फरवरी के बीच 36,400 करोड़ रुपये की दूसरी खेप जारी की गई। इसके बाद कोरोना संकट की वजह से जब केंद्र की आर्थिक हालत खराब हुई तो उसने हाथ खड़े कर लिये। इसके पहले साल 2018-19 में केंद्र ने राज्यों को 69,275 करोड़ रुपये और 2017-18 में 41,146 करोड़ रुपये जारी किये थे।

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