मुंगेली पुलिस ने किया था गलत कानूनी सलाह देने के आरोप में अपराध दर्ज

बिलासपुर। महिला आरक्षक से अश्लील वार्तालाप करने और प्रताड़ित करने के मामले में फंस चुके एडीजीपी पवन देव को हाईकोर्ट के एक आदेश से फिर झटका लगा है। मुंगेली के लोक अभियोजक के खिलाफ उनके निर्देश पर दर्ज कराये गए अपराध पर कार्रवाई करने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।

मुंगेली के लोक अभियोजक आशीष कुमार झा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने मुंगेली के पुलिस अधीक्षक द्वारा राय मांगे जाने पर बताया था कि पीड़ित महिला आरक्षक द्वारा बिलासपुर के तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक पवन देव के विरुद्ध लगाये गये आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और इसमें उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं। अब बीते 19 मार्च को अतिरिक्त संचालक (लोक अभियोजक) की ओर से याचिकाकर्ता को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और कहा गया कि 10 दिसम्बर 2018 को उन्होंने जो राय दी है वह कानूनी प्रावधान के विपरीत हैं, इस पर जवाब दें। याचिकाकर्ता झा ने 19 मार्च की नोटिस का जवाब 25 मार्च को दे दिया। इसके बाद अतिरिक्त संचालक की ओर से याचिकाकर्ता को दुबारा नोटिस जारी किया गया, जिसका अंतिम जवाब एक अप्रैल 2019 को याचिकाकर्ता ने दे दिया।

याचिका में बताया गया है कि जिनके खिलाफ याचिकाकर्ता ने राय दी, उन्होंने संयुक्त संचालक अभियोजन को 24 मई को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ गलत कानूनी राय देने को लेकर अपराध दर्ज किया जाये। इसके बाद 7 जून को संयुक्त संचालक ने उनके खिलाफ सिटी कोतवाली, मुंगेली में आईपीसी की धारा 167, 420 और 109 के तहत अपराध दर्ज करा दिया गया।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने कारण बताओ नोटिस का जवाब देते हुए बताया था कि उन्होंने सिर्फ कानूनी राय दी थी, जिसे मानना पुलिस के लिये बाध्यकारी नहीं था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अनेक मामलों का हवाला देते हुए कहा कि कानूनी राय पेशेगत चूक या कदाचार हो तब भी यह केवल राय है और ऐसे मामले में लोक अभियोजक के खिलाफ कोई अपराध दर्ज नहीं किया जा सकता। जस्टिस संजय के. अग्रवाल की बेंच ने याचिका स्वीकार की और आगे की कार्रवाई पर स्थगन दे दिया है। 19 जून के आदेश में राज्य सरकार, संचालक लोक अभियोजक, मुंगेली पुलिस अधीक्षक सहित अन्य प्रतिवादियों से तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा गया है।

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