गुरु घासीदास जयंती पर भव्य मुख्य प्रवेश द्वार का  उद्घाटन व राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर कार्यशाला

बिलासपुर। गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित गुरु घासीदास जयंती समारोह एवं कुल उत्सव में कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि इस विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने के लिए मैं स्वयं को दधीचि बनाकर समर्पित कर दूंगा।

सुबह 9 बजे गुरु घासीदास जयंती समारोह एवं कुल उत्सव प्रारंभ हुआ। भव्य मुख्य प्रवेश द्वार के उद्घाटन पश्चात समस्त अतिथि पदयात्रा करते हुए संत गुरु घासीदास जी की प्रतिमा स्थल पहुंचे। मूर्ति स्थल से पंथी नृत्य करते हुए लोक कलाकारों के साथ शोभायात्रा रजत जयंती सभागार पहुंची। रजत जयंती सभागार में तरंग बैंड ने सरस्वती वंदना व कुलगीत की मोहक प्रस्तुति दी।

गुरु घासीदास आज भी प्रासंगिक- डॉ सहस्त्रबुद्धे 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय तकनीकी परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष डॉ. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि आजादी की पहली लड़ाई से एक सौ एक साल 1756 में जन्म संत गुरु घासीदास बाबा ने मानव जाति के लिए जो योगदान दिया उसकी प्रासंगिकता आज भी है। सत्य, अंहिसा और शांति की बात उन्होंने उस समय कही थी, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी उसे दोहराया। इस विश्वविद्यालय में पिछले पांच महीनों में कुलपति प्रो. चक्रवाल ने जो कायाकल्प किया है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगामी पांच वर्षों में विश्वविद्यालय किन ऊंचाइयों को छूएगा। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् तकनीकी शिक्षा के लिए कुछ हद तक रोजगार के लिए काम कर रही है लेकिन आज विद्यार्थियों में मानवीय मूल्यों को सिंचित करना जरूरी है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. चक्रवाल ने कहा कि यह विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि पहली बार एआईसीटीई के चेयरमैन का विश्वविद्यालय में आगमन हुआ है। जिस दिन हम सोच लेंगे कि कुछ भी आपके सामर्थ्य के बाहर नहीं उस दिन हमारा स्वयं पर अधिकार बढ़ जायेगा और इस विश्वविद्यालय को राष्ट्र के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय बनने से कोई नहीं रोक सकता। कुलपति ने कहा कि मैंने ठाना है कि इस विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने के लिए मैं स्वयं को दधीचि बनाकर समर्पित कर दूंगा।

विशिष्ट अतिथि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति प्रो. श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए कहा कि इस नीति की आत्मा भारतीय एवं स्वरूप वैश्विक है। शिक्षा झुकने नहीं देती, संस्कृति पराजित नहीं होने देती और संस्कार गिरने नहीं देते। इसीलिए हम पूरे विश्व में गुरु के रूप में जाने जाते थे। नई शिक्षा नीति में शिक्षा के दोनों रूपों, शास्त्र और नीति का समावेश है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर कार्यशाला के समन्वयक अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. टी.वी. अर्जुनन ने कार्यशाला के विषय में जानकारी दी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विश्वविद्यालय में क्रियान्वयन हेतु गठित टास्क फोर्स के समन्वयक भौतिकीय विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. पी.के. बाजपेयी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला।

राजभाषा प्रकोष्ठ की वार्षिक पत्रिका गुरु दर्शन के तीसरे अंक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। इस विशेष अवसर पर स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में टॉप टू परसेंटाइल वैज्ञानिकों में शामिल होने वाले गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के चार अध्यापकों डॉ. डी.के. पाल, डॉ. पार्थ प्रीतम रॉय, डॉ. संजय कुमार भारती एवं डॉ. सुभाष बनर्जी, को सम्नानित किया गया। अतिथियों ने विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया। सतनामी पंथ के धर्मावंलबियों का सम्मान भी इस अवसर पर किया गया।

समारोह का प्रसारण ब्लेंडेड मोड (ऑनलाइन-फेसबुक लाइव तथा यूट्यूब लाइव) में हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गरिमा तिवारी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. शैलेन्द्र कुमार ने किया। गुरु घासीदास जयंती एवं कुल उत्सव समारोह में अनेक गणमान्य नागरिक, पंथ के धर्मावंलबी, समस्त विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षकगण, अधिकारीगण, कर्मचारीगण शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल, विश्वविद्यालय की प्रथम महिला प्रो. नीलांबरी दवे भी उपस्थित थीं। अति विशिष्ट अतिथि यूजीसी के संयुक्त सचिव डॉ. जितेन्द्र कुमार त्रिपाठी आभासी माध्यम से कार्यक्रम में जुड़े।

स्वागत उद्बोधन कार्यक्रम के संजोयक अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. एम.एन. त्रिपाठी ने दिया। डॉ. टी.आर. रात्रे सहायक प्राध्यापक अर्थशास्त्र विभाग ने संत गुरु घासीदास बाबा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।

 

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