रेप के आरोपी पिता को बचाने और पीड़ित बच्ची को बंधक बनाने का मामला

बिलासपुर। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने रेप के आरोपी उद्योगपति पिता को बचाने और 9 साल की पीड़ित बेटी को उसकी मां के सुपुर्द नहीं करने के मामले में कलेक्टर से 3 दिन के भीतर जवाब मांगा है, साथ ही एसपी से अब तक की गई कानूनी कार्रवाई के बारे में रिपोर्ट मांगी है।

सोमवार को जारी पत्र में आयोग ने कहा है कि मीडिया रिपोर्ट्स से उन्हें पता चला है कि बिलासपुर में रायगढ़ के एक परिवार की 9 वर्षीय बालिका का उसके पिता ने शारीरिक शोषण किया। इसकी शिकायत होने के बाद 2 माह से ज्यादा हो चुके बच्ची को बाल संरक्षण समिति के सेंटर में रख दिया गया है। मां को बच्ची वापस नहीं की गई है, न ही उनसे मिलने दिया जा रहा है। बच्ची से सीडब्ल्यूसी के लोग बयान बदलने के लिए कह रहे हैं। बच्चे की मां और मामा 2 महीने से हर दरवाजे पर जा रहे हैं लेकिन उनकी बच्ची उन्हें नहीं मिली। अब वह बिलासपुर कलेक्टर कार्यालय के सामने बच्ची की वापसी के लिए धरना दे रहे हैं।

आयोग ने कहा है कि उक्त प्रकरण में पोक्सो अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन प्रतीत होता है। पीड़िता की गोपनीयता की पहचान हर स्तर पर सुनिश्चित करते हुए पोक्सो अधिनियम 2012 के अंतर्गत मामले में कार्रवाई करते हुए अपनी जांच और कार्रवाई से दस्तावेजों सहित 3 दिनों के भीतर अवगत कराएं।

आयोग ने जानना चाहा है कि बाल कल्याण समिति ने क्या पुलिस की जांच में हस्तक्षेप किया है और किस आधार पर उसने बच्ची की सुपुर्दगी के संबंध में निर्णय लिया है। आयोग ने मामले में दर्ज एफआईआर की प्रतिलिपि, पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट और सीआरपीसी 164 के तहत दर्ज बयान की सत्यापित प्रतिलिपि मांगी है। साथ ही पीड़िता की काउंसलिंग के लिए की गई कार्रवाई का विवरण और प्रकरण में प्रेषित आरोप पत्र की प्रतिलिपि मांगी है। आयोग ने इस मामले में जिला बाल कल्याण समिति के आदेश और निर्देशों की भी जानकारी देने के लिए कहा है, साथ ही प्रकरण से संबंधित अन्य आवश्यक जानकारी मांगी है।

पत्र की प्रतिलिपि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भेजी गई है और उनसे भी 3 दिन के भीतर ही पोक्सो अधिनियम 2012 के अनुरूप कार्रवाई करने और रिपोर्ट 3 दिन के भीतर उपलब्ध कराने कहा गया है।

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