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ओड़िया स्कूल में मेला और झांकियों के साथ कृष्ण जन्माष्टमी, पांच दिन का पर्व 27 को विसर्जन

ओडिया स्कूल मे आज दोपहर मेले की तैयारियां चल रही थी, यह 27 अगस्त तक लगेगा।

बिलासपुर। शहर की बहुरंगी संस्कृति की झलक देखनी हो तो ओड़िया स्कूल में मनाई जा रही जन्माष्टमी पर्व को देखा जा सकता है, जो 23 अगस्त से प्रारंभ हो चुका है और 27 अगस्त तक चलेगा। यहां इस दौरान कृष्ण भगवान की सुंदर झांकियां प्रदर्शित की जाती है, साथ ही मेला लगता है।

रेलवे इलाके में उड़िया समाज के लोग बड़ी संख्या में हैं। अन्य हिन्दू त्यौहारों के अलावा कृष्ण जन्माष्टमी पर्व भी यहां मनाया जाता है। यहां झांकी सजाई गई है और झूला उत्सव मनाया जा रहा है, किन्तु पद्धति कुछ अलग है। ओड़िया स्कूल समिति के अध्यक्ष के. के. बेहरा ने बताया कि हरिवंश पुराण में 318 अध्याय है और तीन पर्व हरिवंश पर्व, विष्णु पर्व तथा भविष्य पर्व हैं।  हरिवंशपुराण के भविष्यपर्व में पुराण पंचलक्षण के सर्गप्रतिसर्ग के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति, ब्रह्म के स्वरूप, अवतार गणना और सांख्य तथा योग पर विचार हुआ है। स्मृतिसामग्री तथा संप्रदाय की विचारधाराएं भी इस पर्व में अधिकांश रूप में मिलती हैं। इसी कारण यह पर्व हरिवंशपर्व और विष्णुपर्व से अर्वाचीन ज्ञात होता है।

विष्णुपर्व में नृत्य और अभिनयसंबंधी सामग्री अपने मौलिक रूप में मिलता है। इस पर्व के अंतर्गत दो स्थलों में छालिक्य का उल्लेख हुआ है। छालिक्य वाद्यसंगीतमय नृत्य ज्ञात होता है। हाव भावों का प्रदर्शन इस, नृत्य में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। छालिक्य के संबंध में अन्य पुराण कोई भी प्रकाश नहीं डालते। विष्णुपर्व (91 26-35) में वसुदेव के अश्वमेघ यज्ञ के अवसर पर भद्र नामक नट का अपने अभिनय से ऋषियों को तुष्ट करना वर्णित है। इसी नट के साथ प्रद्युम्न, सांब आदि वज्रनाभपुर में जाकर अपने कुशल अभिनय से वहाँ दैत्यों का मनोरंजन करते हैं। यहाँ पर “रामायण” नामक उद्देश्य और “कौबेर रंभाभिसार” नामक प्रकरण के अभिनय का विशद वर्णन हुआ है। कृष्ण जन्माष्टमी पर्व में इसकी झांकी ओडिया स्कूल के कार्यक्रम में देखी जा सकती है।  इसमें ओड़िया समाज के ही जान बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है। झांकी को रथ यात्रा सहित 27 अगस्त को विसर्जित की जायेगी ।

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