बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कुछ माह पहले उपाधि प्राप्त 12 सीनियर एडवोकेट्स को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने कहा है। इनकी नियुक्ति की प्रक्रिया को कोर्ट में चुनौती दी गई है।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट का ओहदा प्राप्त करने के इच्छुक अधिवक्ताओं से आवेदन मंगाया था। इसके लिये गठित समिति में चीफ जस्टिस, दो सीनियर हाईकोर्ट जज, बार एसोसियेशन का एक प्रतिनिधि तथा महाधिवक्ता शामिल थे। समिति ने प्राप्त 30 आवेदनों पर विचार करते हुए 12 को सीनियर एडवोकेट की उपाधि देने की अनुशंसा की थी। फुल कोर्ट के अनुमोदन के बाद इसकी अधिसूचना 12 जून को जारी की गई। इनमें अभिषेक सिन्हा, आशीष श्रीवास्तव, फौजिया मिर्जा, गोविंद राम मिरी, किशोर भादुड़ी, प्रफुल्ल कुमार भारत, राजीव श्रीवास्तव, डॉ. राजेश पांड, सतीश चंद्र वर्मा (महाधिवक्ता), शर्मिला सिंघई, विवेक रंजन तिवारी (अतिरिक्त महाधिवक्ता) एवं योगेश चंद्र शर्मा का नाम शामिल है। शेष 18 अधिवक्ताओं के नाम की अनुशंसा उपाधि के लिये नहीं की गई थी। इनमें से एक अधिवक्ता बीपी सिंह ने हाईकोर्ट में अधिवक्ता राजेश केशरवानी के माध्यम से याचिका दायर की है।

याचिका में कहा गया है कि चयन समिति में वे शामिल नहीं हो सकते जिन्हें स्वयं इस पद पर नियुक्त होना है। महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने सीनियर एडवोकेट उपाधि के लिये आवेदन दिया, जबकि वे खुद चयन समिति में थे। जब वर्मा के नाम पर विचार किया गया तब उनकी जगह अतिरिक्त महाधिवक्ता को सदस्य के रूप में बिठाया गया। याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय में स्पष्ट कहा गया है कि महाधिवक्ता को ही सदस्य के रूप में लिया जायेगा, उनके स्थान पर किसी अन्य को नहीं बिठाया जा सकता। अतिरिक्त महाधिवक्ता का चयन भी सीनियर एडवोकेट के रूप मे कर लिया गया है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि चयन समिति के सदस्यों ने अपने करीबियों या रिश्तेदारों का चयन करने के लिये एक दूसरे की मदद की। जब एक सदस्य के संबंधियों का चयन होना था तब सदस्य के रूप में वे नहीं बैठे, उनकी जगह पर दूसरे सदस्य को सदस्य बनाया गया। बाद में दूसरे सदस्य के करीबियों का चयन भी इसी तरह सदस्य को बदलकर कर दिया गया। इस प्रकार चयन की यह प्रक्रिया दूषित है।

याचिका पर सुनवाई 20 नवंबर को शुरू होने वाले सप्ताह में होगी।

 

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