प्रेमिका ने रची साजिश- बेटों और मां-बाप ने दिया साथ , पांच आरोपी गिरफ्तार

कोटा थाने से मृतक का शव गड्ढा खोदकर निकाला गया, घटना में इस्तेमाल कार, बाइक, मोबाइल फोन व क्लोरोफॉर्म बरामद

बिलासपुर। बीते दो जनवरी को प्रभात चौक सरकंडा निवासी राजकुमारी रातड़े ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी यातायात थाने में कम्प्यूटर ऑपरेटर का काम करने वाला उसका बेटा तरूण रातड़े उर्फ आकाश एक जनवरी से लापता है। वह घर से काम पर जाने की बात कर निकला था। पुलिस को राजकुमारी ने बताया कि उसका पति व तरूण रातड़े का पिता शांतनु पिछले पांच साल से बेबी मांडले के साथ पति-पत्नी की तरह रहते थे। चार पांच माह पहले किसी बात पर शांतनु और बेबी के बीच विवाद हो गया था। राजकुमारी ने संदेह जताया कि बेबी ने षड़यंत्र कर उसका अपहरण किया होगा। पुलिस ने धारा 365, 120बी और 34 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज किया।

अपहरण की आशंका को देखते हुए पुलिस ने बेबी और उसके पूर्व पति बालाराम मांडले से पूछताछ शुरू की। वे पुलिस को गुमराह करते हुए घटना की जानकारी होने से इन्कार करते रहे। मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ के बाद दोनों टूट गये और वे दोनों अमने (कोटा) गांव के रहने वाले हैं। उनसे तीन लड़के योगेश, नीलेश और अभिषेक मांडले हैं। बेबी अपोलो अस्पताल में काम करती है और डीपूपारा तारबाहर में मकान बनाकर रहती है।

करीब पांच साल पहले उसने शांतनु से दूसरी शादी कर पति बनाकर उसके साथ रहती है। सितम्बर 2018 में उसके मंझले पुत्र नीलेश का शव संदिग्ध हालत में अटल आवास कुवारीमुड़ा (कोटा) के पास मिला था। बेबी और उसके पहले पति बालाराम को शक था कि शांतनु ने और तरूण ने उसकी हत्या की है। इसी बात को लेकर शांतनु ने बेबी को छोड़ दिया और चिंगराजपारा में अलग रहने लगा। इसके बाद बेबी मांडले, योगेश, अभिषेक, बालाराम तथा सितम्बर में मृत पाये गए नीलेश की प्रेमिका अटल आवास चिंगराजपारा में रहने वाली मेघा गोयल ने दो माह पहले से तरूण की हत्या की योजना बना ली थी। मेघा गोयल ने एक फर्जी सिम से तरूण से मोबाइल फोन पर लगातार बात कर दोस्ती कर ली। उसने एक माह पहले क्लोरोफॉर्म खरीदा और बेबी मांडले के पास रखवा दिया। कुछ दिन पहले ही राजकिशोरनगर में किराये का एक मकान लेकर रहने लगे, ताकि यहां पर घटना को अंजाम दिया जा सके।

एक जनवरी को नये साल के बहाने से मेघा ने तरूण को फोन कर स्मृति वन के पास बुलाया। उसने वहां कहा कि पास में एक दोस्त का घर है वहां चलते हैं। वह उसे राजकिशोरनगर स्थित अपने किराये के मकान में ले आई। वहां पहले से बेबी मांडले छिपी हुई थी। बालाराम योगेश और अभिषेक घर के बाहर कार में छिपे हुए थे। मेघा ने उसे नींद की गोली मिलाकर कॉफी पिलाई और उससे बातचीत करती रही। जब तरूण पर गोली का असर नहीं हुआ तो बाहर छिपे बालाराम, योगेश और अभिषेक तथा बेबी कमरे में पहुंच गये। सबने मिलकर तरूण का हाथ पैर तथा गर्दन को रस्सी से बांध दिया और क्लोरोफॉर्म सुंघा दिया। इसके बाद तरूण के मुंह में गमछा और अस्पताली बेंडेज बांध दिया। गर्दन की रस्सी को उन्होंने कस दिया, जिससे तरूण की मौत हो गई। तरूण के शव को कार क्रमांक सीजी 10 जेड डी 1631 की पिछली सीट में भर दिया। कार से वे मोपका बाइपास के पास गये। वहां तरूण और मेघा का सिम तोड़कर फेंक दिया गया। मृतक तरूण का मोटर साइकिल कोनी के पास छोड़ दिया। इसके बाद वे शव को लेकर अमने गये। वहां उनका खेत था, जहां पहले से ही मेड़ में गड्ढा खोदकर रखा गया था। वहां पर तरूण को दफना दिया गया। घटना को अंजाम देने के बाद बेबी और योगेश मांडले अपने घर डीपू पारा आ गये तथा बालाराम और अभिषेक अमने में रुक गए।

बेबी और बालाराम मांडले से राज उगलवाने के बाद पुलिस ने बाकी आरोपी योगेश, अभिषेक और मेघा को भी हिरासत में ले लिया। उनसे अलग-अलग पूछताछ की गई। तरूण का शव खेत के गड्ढे से निकाल लिया गया। पुलिस ने मृतक तरूण की बाइक, मोबाइल फोन, सिम तथा मेघा का मोबाइल फोन और सिम, मृतक का जूता, बेंडेज की चकरी को सेंदरी बाइपास से बरामद कर लिया। घटना में प्रयुक्त मारूति कार को भी जब्त किया गया। सभी आरोपियों को न्यायिक रिमांड पर भेजने के लिए अदालत में पेश किया गया है।

एक प्रेस कांफ्रेंस में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अर्चना झा, उप पुलिस अधीक्षक प्रवीण चंद्र, सीएसपी विश्वदीपक त्रिपाठी ने बताया कि नवपदस्थ पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा के मार्गदर्शन में यह जांच की गई। प्रकरण को सुलझाने में सरकंडा थाना प्रभारी संतोष जैन, उप निरीक्षक आर ए यादव, विनोद शर्मा, प्रधान आरक्षक निर्मल ठाकुर, आर मुरली भार्गव, अतुल सिंह, अनूप मिश्रा, रीना सिंह व साइबर सेल के उप निरीक्षक प्रकार तिवारी, सहायक उप निरीक्षक हेमन्त आदित्य और उनकी टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here